राहुल गांधी से उठ रहा कांग्रेसी नेताओं का भरोसा, सीनियर नेता बोले – लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बांधे
महाराष्ट्र और ओडिशा में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इन आरोपों की छींटों से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी बचे नहीं हैं। एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, दोनों राज्यों में फिडड्डी साबित होने के लिए के बाद कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने राहुल गांधी की क्षमताओं पर भी सवाल उठाना शुरू कर दिया है। हालांकि, ये सवाल अभी दबी आवाज में उठ रहे हैं। अभी भी इस बात पर मंथन हो रहा है कि राहुल गांधी समेत पूरे आलाकमान के सामने यह बात कहेगा कौन ?
ओडिशा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के लिए फंड की कमी को भी जिम्मेदार ठहराया गया था। अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार है। खबर के मुताबिक, एक सीनियर नेता ने तो यहां तक भी कह दिया कि, ‘बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधकर उससे कौन सवाल करे?’
2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने नए सिरे से प्लानिंग शुरू की थी। लेकिन उससे पार्टी में नई ऊर्जा आने की जगह पार्टी राज्यों के चुनावों में और बुरी तरह हारी। सीनियर नेताओं ने कहा है कि मोदी सरकार को काउंटर करने के लिए राहुल गांधी के पास कोई गेम प्लान नहीं है। सीनियर नेताओं का यह भी मानना है कि महाराष्ट्र, ओडिशा में बीजेपी को मिले फायदे का असर यूपी में चल रहे विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। वहां अभी तीन चरणों के चुनाव के लिए वोटिंग होनी है।
हालांकि, कुछ कांग्रेसी नेताओं का यह भी कहना है कि राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभाल लेना चाहिए और प्रियंका गांधी को भी राजनीति में एक्टिव हो जाना चाहिए।
कांग्रेस की सीनियर नेता शीला दीक्षित ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि राहुल गांधी अभी मेच्योर नहीं हुए हैं और राजनीति में उन्हें अभी और समय मिलना चाहिए। दरअसल, शीला दीक्षित से यह सवाल पूछा गया था कि कांग्रेस का ग्राफ कई राज्यों में गिर रहा है। यह ऐसे वक्त में हो रहा है जब राहुल आक्रमक रूप से रैलियां कर रहे हैं। ऐसे में क्या गलत हो रहा है? इसपर शीला दीक्षित ने कहा, ‘आप लोग देख रहे हैं कि राजनीति बदल रही है। अब यह वैसी नहीं रही जैसी कुछ सालों पहले हुआ करती थी। राजनीति की भाषा भी बदल गई है। उदाहरण के लिए पीएम मोदी ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के लिए जिस तरीके की भाषा का इस्तेमाल किया वैसा पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। ऐसे बदलते वक्त में कांग्रेस अपने आपको ढाल रही है। और कृपया यहां ध्यान रखें कि राहुल अभी भी मेच्योर नहीं हैं। मेच्योर होने वाली उनकी उम्र भी नहीं है। वह अभी चालीस साल के ही तो हैं। कृपया उन्हें वक्त दें। राहुल अकेले ऐसे नेता हैं जो किसानों की बात करते हैं।’
बातचीत में शीला ने यह भी कहा कि वह सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बाद दोनों के लिए प्रचार भी कर रही हैं। शीला ने कहा कि वह हर उस जगह पर प्रचार के लिए जाती हैं जहां पर पार्टी की तरफ से उनको भेजा जाता है। हालांकि, उन्होंने कानपुर, बनारस जैसी कुछ जगहों का नाम भी लिया जहां वह अपनी खराब सेहत की वजह से रैली करने नहीं जा पाईं।
गौरतलब है कि शीला दीक्षित को पहले कांग्रेस ने यूपी में अपना सीएम कैंडिडेट बनाया था। लेकिन फिर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हो गया। सपा से गठबंधन होने के बाद शीला ने अपनी मर्जी से दावेदारी वापस ले ली। उन्होंने कहा था कि वह अखिलेश को सीएम बनते देखकर खुश होंगी।
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