इस वक्त हिन्दुओं को आपस में लड़ाने के लिए सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है, हिन्दुओं को आपस में लड़ाने के काम में लगे लोग फर्जी नामों ने कई हिन्दू जातियों की फर्जी ID बना रहे हैं और एक दूसरे को गाली देकर हिन्दुओं को आपस में लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लोगों में जागरूकता की कमीं के कारण असली लोग भी फर्जी लोगों की बातों में आ जाते हैं और वे भी एक दूसरे से नफरत करने लग जाते हैं लेकिन हमने ऐसे लोगों को एक्सपोज करने का निर्णय किया है ताकि जातिवाद और नफरत का जहर फैलने से रोका जा सके.
सोशल मीडिया का हिन्दुओं के खिलाफ गलत इस्तेमाल
मान लीजिये, मैंने राजपूत के नाम से फेक ID बना ली, अपने नाम के अंत में राजपूत लिख दिया, जाहिर है कि राजपूत जानकार असली राजपूत मेरे फ्रेंड बनेंगे, अब मान लो मैंने दलितों के खिलाफ रोजाना आग उगलनी शुरू कर दी, उन्हें रोजाना गरियाना शुरू कर दिया, अब धीरे धीरे मेरी बातों में आकर असली राजपूत भी दलितों को गालियाँ देने लगेंगे या मेरी पोस्ट को लाइक या शेयर करने लगेंगे, जब दलित लोग देखेंगे कि राजपूत उनके खिलाफ लगातार भड़काऊ पोस्ट डाल रहे हैं, उन्हें गालियाँ दे रहे हैं तो उन्हें राजपूतों से नफरत हो जाएगी.
अब मान लो मैंने दलित नाम से दूसरी फेक ID बना ली, दलित लोग मेरे फ्रेंड बनेंगे, उस ID से मैं राजपूतों के खिलाफ आग उगलनी शुरू कर दूंगा, अन्य दलित लोग भी मेरी बातों में आ जाएंगे और राजपूतों को भला बुरा कहना शुरू कर देंगे. जब राजपूत लोग देखेंगे कि दलित उनके खिलाफ लगातार आग उगल रहे हैं तो उन्हें दलितों से नफरत हो जाएगी.
अब देखिये, मैंने दलित और राजपूत नाम से फेक ID बनाकर दोनों जातियों को आपस में लड़ा दिया, ठीक इसी तरह से मैं ब्राह्मण, यादव, सिंह, ठाकुर, OBC आदि जातियों की फेक ID बनाकर एक दूसरे के खिलाफ जहर उगल सकता हूँ और उन्हें आपस में लड़ा सकता हूँ.
https://www.facebook.com/ianilbhati/videos/1871454503119688/
सोशल मीडिया पर पिछले कुछ महीनों से यही हो रहा है, एक ही आदमी 10-10 जातियों के नामों से फेक ID बनाकर जातिवादी घृणा फैला रहा है, ऐसे लोगों को पहचानकर इनके खिलाफ FIR लिखवाना चाहिए, इस काम में बड़ी बड़ी ताकतें लगी हुई हैं और सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों को मोटा पैसा दिया जा रहा है. देश में बहुत बड़ी साजिश हो रही है जिसे जानने की जरूरत है, फेक लोगों की सबसे बड़ी पहचान है, ये अपनी प्रोफाइल पर अपनी फोटो नहीं लगाते हैं. ऐसे लोग लगातार भड़काऊ पोस्ट डालते रहते हैं. दिन रात नफरत बांटते रहते हैं.
क्यों हो रहा है ये सब साजिशें
हिन्दुओं को आपस में लड़ाने की साजिश 2019 में मोदी को हराने के लिए हो रही है क्योंकि 2014 में मोदी की सरकार बनाने के लिए भारत के हिन्दू एकजुट हो गए थे, हर जाति ने मोदी को वोट दिया था, एकतरफा मोदी को वोट दिया था इसलिए दुश्मन सोच रहे हैं कि एक बार हिन्दुओं को आपस में लड़ा दिया गया, इनमें फूट डाल दी गयी तो 2019 चुनाव में लोग अपनी जाति देखकर वोट देंगे, मोदी को हिन्दुओं का वोट नहीं मिलेगा और हम आसानी से उन्हें हरा देंगे.
जहाँ तक हिन्दू धर्म त्याग किसी अन्य धर्म को अपनाने की बात कही जा रही है, इस विषय पर केवल इतना ही कहना है "जो अपने धर्म का नहीं हुआ, किसी और का क्या होगा?"; एक दिन इन लोगों की स्थिति बेपेंदी के लोटे के समान होगी, धोबी का कुत्ता घर का न घाट का। यह कटु सत्य है, जिसे ये लोग आज नहीं कल स्वयं स्वीकारेंगे। अपना स्वार्थ सिद्ध कर ठोकर मारकर निकाले जाने पर जो इनकी दुर्गति होगी, इनके पूर्वज भी इन्हे अपना कहने पर शर्मसार होंगे।
देखिये जनता के हितैषी किस तरह हिन्दुओं को विभाजित कर अपनी रोटियाँ सेंक रहे हैं और मंदबुद्धि गुलामों की तरह अपना ज़मीर बेच रहे हैं।
क्यों हो रहा है ये सब साजिशें
हिन्दुओं को आपस में लड़ाने की साजिश 2019 में मोदी को हराने के लिए हो रही है क्योंकि 2014 में मोदी की सरकार बनाने के लिए भारत के हिन्दू एकजुट हो गए थे, हर जाति ने मोदी को वोट दिया था, एकतरफा मोदी को वोट दिया था इसलिए दुश्मन सोच रहे हैं कि एक बार हिन्दुओं को आपस में लड़ा दिया गया, इनमें फूट डाल दी गयी तो 2019 चुनाव में लोग अपनी जाति देखकर वोट देंगे, मोदी को हिन्दुओं का वोट नहीं मिलेगा और हम आसानी से उन्हें हरा देंगे.
जहाँ तक हिन्दू धर्म त्याग किसी अन्य धर्म को अपनाने की बात कही जा रही है, इस विषय पर केवल इतना ही कहना है "जो अपने धर्म का नहीं हुआ, किसी और का क्या होगा?"; एक दिन इन लोगों की स्थिति बेपेंदी के लोटे के समान होगी, धोबी का कुत्ता घर का न घाट का। यह कटु सत्य है, जिसे ये लोग आज नहीं कल स्वयं स्वीकारेंगे। अपना स्वार्थ सिद्ध कर ठोकर मारकर निकाले जाने पर जो इनकी दुर्गति होगी, इनके पूर्वज भी इन्हे अपना कहने पर शर्मसार होंगे।
देखिये जनता के हितैषी किस तरह हिन्दुओं को विभाजित कर अपनी रोटियाँ सेंक रहे हैं और मंदबुद्धि गुलामों की तरह अपना ज़मीर बेच रहे हैं।
कल देर रात भीम आर्मी नाम के बने एक पेज पर लिखी गयी post पड़ रहा था ...
असल में इन पेजो के को चलाने वाले , इनके लिए पोस्टें लिखने वाले...
भीम आर्मी वाले कम ,
अकबरउद्दीन औवेसी की मीम आर्मी वाले ज्यादा होते है ...
विस्तार पूर्वक ओर प्रत्यक्ष उदाहरण देकर समझाने का प्रयास करता हूं ...
कैसे होते हैं ...?
आज की पोस्ट बड़े ही ध्यान से पड़िए ...
कल रात भीम आर्मी पेज पर जो पोस्ट में पड़ रहा था उसका बिसय था ।
हिन्दूओ के देवता ओर उनके हथियार -
राम - धनुष बाण
कृष्ण - चक्र
दुर्गा - तलवार
हनुमान - गदा
शंकर - त्रिशूल
ये सभी हथियार क्यों रखते थे ...?
इसका सीधा सा अर्थ है किसी को मारने के लिए या अपनी रक्षा के लिए , यदि ये किसी को मारने के लिए रखते हैं तो हिंसा करने वाला उत्तम कैसे हो सकता है । ओर यदि ये सुरक्षा के लिए रखते हैं तो सर्व शक्तीमान नहीं हो सकते
अब अन्य समप्रदायो के विचार प्रवर्तकों को देखें ..
गौतम बुद्ध - कोई हथियार नहीं
मुहम्मद पैगम्बर - कोई हथियार नहीं
महावीर - कोई हथियार नहीं
ईसामसीह - कोई हथियार नहीं
गुरू नानक देव - कोई हथियार नहीं
गुरू रविदास - कोई हथियार नहीं
संत कबीर - कोई हथियार नहीं
बाबा साहेब डा अंबेडकर - कोई हथियार नहीं
सभी अहिंसा के पुजारी थे। जो दया परोपकार करने पर जोर
देते थे....
पोस्ट लिखने वाले की मानसिकता दर्शाती है कि वह घोर सनातन विरोधी है , ओर उसका उद्देश्य हिन्दूओ में आपस में फूट डालना है ...
इसी पोस्ट पर एक जागरूक मित्र Rohit Tripathi जी कमेंट करते हैं ...
Rohit Tripathi -
मोहम्मद साहब ने 80 से ज्यादा युद्ध लड़े ,
निहत्थे लड़े होंगे.. ?
( Rohit Tripathi जी ने कमेंट बड़ी ही होशियारी से किया ओर भीम आर्मी के भेष में छुपे मीम आर्मी के Mohd Asif को पोस्ट पर Reply देने को मजबूर कर दिया ...
Mohd Asif -
जिस तरह आज दलित भाईयों और जुल्म हो रहा है उस समय मुसलमानो पर हो रहा था ओर अपने बचाव के लिए जंग लड़ा था
Rohit Tripathi -
मुस्लिमों पर जुल्म ये तो जोक ऑफ दिन ईयर है , सारी दुनिया पर कहर तुमने मचा रखा है कश्मीर से हिन्दू मार कर भगा दिया ऊपर से ये ड्रामा , झूठ से डरो ..ऊपर वाले को मुंह भी
दिखाना है....
Mohd Asif इतना सुनते ही पोस्ट से गायब 😊
भाई Rohit Tripathi जी ने कड़वे सच से सामना जो करा दिया....
फेसबुक पर फेक आईडी ओर सनातन विरोधी पेजों की भरमार है ये मलेचछी 😈
ब्राम्हण , क्षत्रिय , भीमवादी आदि नामों से फेक आई डी बनाकर हिन्दूओ को आपस में बांटने ओर लड़ाने का कार्य करते हैं
जो ,
जागरूक मित्र है वो इन सब षडयंत्रओ को जानते हैं ।
जो मूर्ख हैं वो इनके षडयंत्रों में फंस जाते हैं ओर आपस में ही लड़ने मरने लगते हैं ....
सहारनपुर मामले की हकीकत लगभग सबको मालूम चल ही गई होगी ।
भीम आर्मी को ढाल बनाकर मलेचछियों 😈 ने इस सुनियोजित दंगे हो अंजाम दिया ...
ओर मायावती जी ने अपने स्वार्थ के लिए इसे राजनीतिक रंग दे कर आग में घी डालने का कार्य किया ...
मैंने यहां तक सुना है कि दो दिन पहले जब मायावती जी सहारनपुर दौरे पर गयी थी ...जाने से पहले उन्होंने सहारनपुर में बैठे अपने चमचो तक सूचना पहुंचा दी थी कि मेरे जाते ही कम से कम चार -पांच दलितों की हत्या होनी चाहिए , क्यों कि मायावती जी अच्छी तरह जानती हैं कि जितनी ज्यादा दलितों की बली दी जाएगी ...आन्दोलन उतना उग्र रूप लेगा ।
शक जाएगा राजपूतों पर ....
अंत में निवेदन सभी से कि आपस में लड़ना बंद करो , एक दूसरो को नीचा दिखाना बंद करो ।
इन षडयंत्रकारियों को पहचानो ओर विवेक से काम लो ....
धन्यवाद 👏
जय जय श्री राम 🚩
राम ही राम आठो याम 🚩...
Ashish Dixit ji की वॉल से
प्रेमपाल सिंह चौहान
संत रविदास और इस्लाम : डॉ विवेक आर्य
सहारनपुर में दलितों और ठाकुर राजपूतों का विवाद का समाचार मिल रहा है। कभी दलित कहते है कि हम इस्लाम स्वीकार कर लेंगे, कभी ठाकुर कहते है कि हम इस्लाम स्वीकार कर लेंगे। इस्लाम स्वीकार करने से जातिवाद की समस्या समाप्त हो जाती तब तो दुनिया के सभी इस्लामिक देश जन्नत के समान होते। मगर सत्य भिन्न है। शिया-सुन्नी, अहमदी-देवबंदी, अशरफ-अजलफ, वहाबी-सूफी , सैयद-क़ुरैश और न जाने क्या क्या के नाम पर मुस्लिम समाज न केवल विभाजित है अपितु एक दूसरे के खून के प्यासे भी बने हुए हैं। भारत में जातिवाद की सामाजिक समस्या का राजनीतिकरण हो गया है। यह कटु सत्य है कि भारत में राजनीती ने जातिवाद की खाई को अधिक गहरा और चौड़ा ही किया हैं। जय भीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग कर रहे है। यह मानसिक गुलामी का लक्षण है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में बहकाना भी इसी कड़ी का भाग हैं। दलित समाज में संत रविदास का नाम प्रमुख समाज सुधारकों के रूप में स्मरण किया जाता हैं। आप जाटव या चमार कुल से सम्बंधित माने जाते थे। चमार शब्द चंवर का अपभ्रंश है।
संत रविदास और इस्लाम : डॉ विवेक आर्य
सहारनपुर में दलितों और ठाकुर राजपूतों का विवाद का समाचार मिल रहा है। कभी दलित कहते है कि हम इस्लाम स्वीकार कर लेंगे, कभी ठाकुर कहते है कि हम इस्लाम स्वीकार कर लेंगे। इस्लाम स्वीकार करने से जातिवाद की समस्या समाप्त हो जाती तब तो दुनिया के सभी इस्लामिक देश जन्नत के समान होते। मगर सत्य भिन्न है। शिया-सुन्नी, अहमदी-देवबंदी, अशरफ-अजलफ, वहाबी-सूफी , सैयद-क़ुरैश और न जाने क्या क्या के नाम पर मुस्लिम समाज न केवल विभाजित है अपितु एक दूसरे के खून के प्यासे भी बने हुए हैं। भारत में जातिवाद की सामाजिक समस्या का राजनीतिकरण हो गया है। यह कटु सत्य है कि भारत में राजनीती ने जातिवाद की खाई को अधिक गहरा और चौड़ा ही किया हैं। जय भीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग कर रहे है। यह मानसिक गुलामी का लक्षण है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में बहकाना भी इसी कड़ी का भाग हैं। दलित समाज में संत रविदास का नाम प्रमुख समाज सुधारकों के रूप में स्मरण किया जाता हैं। आप जाटव या चमार कुल से सम्बंधित माने जाते थे। चमार शब्द चंवर का अपभ्रंश है।
चर्ममारी राजवंश का उल्लेख महाभारत जैसे प्राचीन भारतीय वांग्मय में मिलता है। प्रसिद्ध विद्वान डॉ विजय सोनकर शास्त्राी ने इस विषय पर गहन शोध कर चर्ममारी राजवंश के इतिहास पर पुस्तक लिखा है। इसी तरह चमार शब्द से मिलते-जुलते शब्द चंवर वंश के क्षत्रियों के बारे में कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक ‘राजस्थान का इतिहास’ में लिखा है। चंवर राजवंश का शासन पश्चिमी भारत पर रहा है। इसकी शाखाएं मेवाड़ के प्रतापी सम्राट महाराज बाप्पा रावल के वंश से मिलती हैं। संत रविदास जी महाराज लम्बे समय तक चित्तौड़ के दुर्ग में महाराणा सांगा के गुरू के रूप में रहे हैं। संत रविदास जी महाराज के महान, प्रभावी व्यक्तित्व के कारण बड़ी संख्या में लोग इनके शिष्य बने। आज भी इस क्षेत्रा में बड़ी संख्या में रविदासी पाये जाते हैं।
उस काल का मुस्लिम सुल्तान सिकंदर लोधी अन्य किसी भी सामान्य मुस्लिम शासक की तरह भारत के हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की उधेड़बुन में लगा रहता था। इन सभी आक्रमणकारियों की दृष्टि ग़ाज़ी उपाधि पर रहती थी। सुल्तान सिकंदर लोधी ने संत रविदास जी महाराज मुसलमान बनाने की जुगत में अपने मुल्लाओं को लगाया। जनश्रुति है कि वो मुल्ला संत रविदास जी महाराज से प्रभावित हो कर स्वयं उनके शिष्य बन गए और एक तो रामदास नाम रख कर हिन्दू हो गया। सिकंदर लोदी अपने षड्यंत्रा की यह दुर्गति होने पर चिढ़ गया और उसने संत रविदास जी को बंदी बना लिया और उनके अनुयायियों को हिन्दुओं में सदैव से निषिद्ध खाल उतारने, चमड़ा कमाने, जूते बनाने के काम में लगाया। इसी दुष्ट ने चंवर वंश के क्षत्रियों को अपमानित करने के लिये नाम बिगाड़ कर चमार सम्बोधित किया। चमार शब्द का पहला प्रयोग यहीं से शुरू हुआ।
संत रविदास जी महाराज की ये पंक्तियाँ सिकंदर लोधी के अत्याचार का वर्णन करती हैं।
वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान
फिर मैं क्यों छोड़ूँ इसे पढ़ लूँ झूट क़ुरान
वेद धर्म छोड़ूँ नहीं कोसिस करो हजार
तिल-तिल काटो चाही गोदो अंग कटार
चंवर वंश के क्षत्रिय संत रविदास जी के बंदी बनाने का समाचार मिलने पर दिल्ली पर चढ़ दौड़े और दिल्लीं की नाकाबंदी कर ली। विवश हो कर सुल्तान सिकंदर लोदी को संत रविदास जी को छोड़ना पड़ा । इस झपट का ज़िक्र इतिहास की पुस्तकों में नहीं है मगर संत रविदास जी के ग्रन्थ रविदास रामायण की यह पंक्तियाँ सत्य उद्घाटित करती हैं
बादशाह ने वचन उचारा । मत प्यादरा इसलाम हमारा ।।
खंडन करै उसे रविदासा । उसे करौ प्राण कौ नाशा ।।
जब तक राम नाम रट लावे । दाना पानी यह नहीं पावे ।।
जब इसलाम धर्म स्वीरकारे । मुख से कलमा आप उचारै ।।
पढे नमाज जभी चितलाई । दाना पानी तब यह पाई ।।
वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान
फिर मैं क्यों छोड़ूँ इसे पढ़ लूँ झूट क़ुरान
वेद धर्म छोड़ूँ नहीं कोसिस करो हजार
तिल-तिल काटो चाही गोदो अंग कटार
चंवर वंश के क्षत्रिय संत रविदास जी के बंदी बनाने का समाचार मिलने पर दिल्ली पर चढ़ दौड़े और दिल्लीं की नाकाबंदी कर ली। विवश हो कर सुल्तान सिकंदर लोदी को संत रविदास जी को छोड़ना पड़ा । इस झपट का ज़िक्र इतिहास की पुस्तकों में नहीं है मगर संत रविदास जी के ग्रन्थ रविदास रामायण की यह पंक्तियाँ सत्य उद्घाटित करती हैं
बादशाह ने वचन उचारा । मत प्यादरा इसलाम हमारा ।।
खंडन करै उसे रविदासा । उसे करौ प्राण कौ नाशा ।।
जब तक राम नाम रट लावे । दाना पानी यह नहीं पावे ।।
जब इसलाम धर्म स्वीरकारे । मुख से कलमा आप उचारै ।।
पढे नमाज जभी चितलाई । दाना पानी तब यह पाई ।।
जैसे उस काल में इस्लामिक शासक हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहते थे वैसे ही आज भी कर रहे हैं। उस काल में दलितों के प्रेरणास्रोत्र संत रविदास सरीखे महान चिंतक थे। जिन्हें अपने प्रान न्योछावर करना स्वीकार था मगर वेदों को त्याग कर क़ुरान पढ़ना स्वीकार नहीं था।
मगर इसे ठीक विपरीत आज के दलित राजनेता अपने तुच्छ लाभ के लिए अपने पूर्वजों की संस्कृति और तपस्या की अनदेखी कर रहे हैं।
दलित समाज के कुछ राजनेता जिनका काम ही समाज के छोटे-छोटे खंड बाँट कर अपनी दुकान चलाना है अपने हित के लिए हिन्दू समाज के टुकड़े-टुकड़े करने का प्रयास कर रहे हैं।
मगर इसे ठीक विपरीत आज के दलित राजनेता अपने तुच्छ लाभ के लिए अपने पूर्वजों की संस्कृति और तपस्या की अनदेखी कर रहे हैं।
दलित समाज के कुछ राजनेता जिनका काम ही समाज के छोटे-छोटे खंड बाँट कर अपनी दुकान चलाना है अपने हित के लिए हिन्दू समाज के टुकड़े-टुकड़े करने का प्रयास कर रहे हैं।
डॉ अम्बेडकर की सुने जिन्होंने अनेक प्रलोभन के बाद भी इस्लाम और ईसाइयत को स्वीकार करना स्वीकार नहीं किया।
सर्वविदित है कि वर्ष 2014 में हिन्दुओं ने जातिवाद-भेदभाव भुलाकर और एकजुट होकर बीजेपी को वोट दिया था और केंद्र में मोदी की बहुमत के साथ सरकार बनायी थी, इसके बाद कई राज्यों में चुनाव हुए और हिन्दू समुदाय के लोग जातिवाद और भेदभाव भूलकर हर जगह बीजेपी को वोट दिए. बिहार, पंजाब को छोड़कर हर जगह बीजेपी की सरकार बनी.
हिन्दुओं की एकजुटता ही बीजेपी की ताकत है, हिन्दू लोग जातिवाद भूलकर एक हो जाएं, यही बीजेपी वाले चाहते हैं इसलिए आरएसएस और बीजेपी के लोग हिन्दू धर्म से जातिवाद और भेदभाव मिटाने का काम कर रहे हैं लेकिन बीजेपी की विरोधी पार्टियाँ हिन्दुओं को आपस में लड़ाने का काम कर रही हैं ताकि हिन्दू बंट जाएं, हर जाति एक दूसरे एक खिलाफ हो जाए ताकि 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी-बीजेपी को हराया जा सके.
बहुत बड़ी साजिश हो रही है
इस वक्त देश में बीजेपी सरकारों के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश हो रही है, जहाँ जहाँ भी बीजेपी की सरकारें हैं वहां जातिवादी आन्दोलन हो रहे हैं, एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ लड़ाने का प्रयास हो रहा है, दलितों को राजपूतों के खिलाफ, दलितों को ब्राह्मणों के खिलाफ, OBC को सवर्णों के खिलाफ, कहीं पर बहुसंख्यक जातियों के लिए आरक्षण के नाम पर हिंसा हो रही है, पता नहीं क्या क्या हो रहा है, हर जगह एक दूसरे को लड़ाने की साजिश हो रही है.
आप खुद देखिये, हरियाणा में BJP की सरकार बनते ही वहां पर जाट आरक्षण के नाम पर पर जातिवादी आन्दोलन शुरू हो जाता है, आग लगाने की कोशिश की जाती है, हजारों करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति जलाकर स्वाहा कर दी जाती है।
UP मे BJP की सरकार बनते ही भीम आर्मी के नाम पर जातिवादी आग लगा दी जाती है.
महाराष्ट्र मे BJP की सरकार बनते ही माराठा आन्दोलन शरू हो जाता है.
गुजरात में चुनाव से पहले पाटीदार आन्दोलन के नाम पर जातिवादी आन्दोलन शुरू किया जाता है ताकि पटेलों और अन्य हिन्दू जातियों में फूट पड़े, लोग एक दूसरे से जलने लगें.
राजस्थान मे चुनाव सामने देख फिर से गुर्जरों को भडकाने की तैयारी हो रही है.
आखिरकार जहाँ भी BJP की सरकारों है वहीं पर ये जातिवादी आन्दोलन क्यों हो रहा है, क्या बिहार में दलितों के साथ अन्याय नहीं हो रहा है, वहां पर BHIM ARMY के लोग धरना प्रदर्शन और दंगे क्यों नहीं कर रहे हैं, क्या बिहार में पटेल नहीं हैं, वहां पर हार्दिक पटेल आन्दोलन क्यों नहीं करते.
आश्चर्य इस बात का है कि विपक्षी पार्टियाँ बीजेपी के खिलाफ साजिश भी कर रही हैं और इस सब का जिम्मेदार भी बीजेपी को बता रही हैं और साधारण सोच वाला इंसान विपक्षियों की बात मान भी जाता है, लेकिन यह सच नहीं है.
BJP को 2019 में रोकना है लक्ष्य
यह सब साजिशें BJP और खासकर मोदी को 2019 में रोकने के लिए हो रही हैं, विपक्षी जानते हैं कि मोदी ने नोटबंदी करके सभी राजनीतिक पार्टियों को बर्बाद कर दिया है, अगर ये एक बार और आ गया तो इतिहास में ढूँढने से भी किसी पार्टी का नाम नहीं मिलेगा.
विपक्षी जानते हैं कि भाजपा की सत्ता में वापसी हिन्दुओं की एकता के कारण ही संभव है अतः वो कभी नही चाहेंगे की हिन्दुओं में एकता हो. इसलिए हिन्दुओं को आपस में लड़ाने, फूट डालने, जातिवादी हिंसा भड़काने की साजिश हो रही है, अगर हिन्दू लोग विपक्षी पार्टियों की साजिश में फंस गए तो देश में फिर से जातिवाद फैलेगा और 2019 में मोदी की वापसी मुश्किल हो जाएगी.
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