वरिष्ठ कश्मीरी अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने शुक्रवार (18 अगस्त) को भारत को चेताया कि दमन से कश्मीर की समस्या कभी नहीं हल हो सकती और एक आतंकवादी को मारने से दस और आतंकवादी ही पैदा होंगे. नोहट्टा इलाके के जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के दौरान एक तीखे भाषण में मीरवाइज उमर ने कहा, "आक्रामकता और दमन कभी मुद्दों को हल नहीं कर सकते, बल्कि केवल उन्हें बढ़ाते हैं."
उन्होंने कहा, "जब तक दमन और सुरक्षा बल रहेंगे तो राज्य में प्रतिक्रिया होगी. आप एक (आतंकी) को मारेंगे तो 10 खड़े होंगे. उन्हें (आतंकवादियों को) मारना कोई हल नहीं है, इसका साक्ष्य उनके जनाजे में लोगों की भारी भीड़ का होना है." उन्होंने कहा, "जो लोग सोचते हैं कि कश्मीर की समस्या आतंकवादियों को मारने से खत्म हो जाएगी, उन्हें यह जरूर समझना चाहिए कि आतंकवाद दमन की एक प्रतिक्रिया है."
हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लोग अपनी राजनीतिक समस्या के अंतिम समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं और केवल इससे ही उनकी तकलीफें खत्म होंगी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का समाधान संभव है, बशर्ते तथ्यों को 'करुणा, मानवता और पारस्परिक सम्मान' के साथ स्वीकार करने की इच्छा हो.
मीरवाइज ने जब कहा कि दमन कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार आत्मनिर्णय की मांग करने के अधिकार से लोगों को नहीं रोक सकता, तो भीड़ ने आजादी के समर्थन में नारे लगाए. शुक्रवार की नमाज के तुरंत बाद कुछ युवकों ने नौहट्टा में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की.
सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. लेकिन, प्रदर्शनकारी बार-बार गलियों से निकलकर एकत्र हुए जा रहे थे. पुलिस ने कहा कि झड़पों में कई लोग घायल हुए.
मीरवाइज का यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनके द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण का स्वागत करने के तीन दिन बाद आया है. मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि न गोली से न गाली से, कश्मीर की समस्या गले लगाने से सुलझेगी. छह सप्ताह से घर में नजरबंद मीरवाइज पर से अधिकारियों ने शुक्रवार (18 अगस्त) को प्रतिबंध हटा दिया, जिसके बाद उन्होंने जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज अदा की और लोगों को संबोधित किया.
कश्मीर के युवा और छात्र आए दिन स्कूल और कॉलेज में प्रदर्शन करते हैं जिसकी वजह से बार-बार घाटी बंद का ऐलान होता है। इससे साफ पता चलता है कि कश्मीर के लोग क्या चाहते हैं। मीडिया पर निशाना साधते हुए मीरवाइज ने कहा कि मीडिया में कश्मीर और कश्मीर के लोगों को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है। ऐसा करने से सरकार को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। मीरवाइज ने कहा कि कश्मीर का विवाद क्षेत्रीय विवाद से ज्यादा मानवीय विवाद है। कश्मीर के लोगों ने पिछले 70 सालों में जितनी परेशानियां झेली है यह उसी का नतीजा है।
अब सवाल यह होता है कि जब कश्मीरी अपनी आज़ादी के लिए जंग लड़ रहे हैं, फिर अपना मुँह ठाक कर क्यों पत्थरबाज़ी करते हैं? क्यों घरों में छुपकर गोलियाँ चलाते हैं? क्या किसी भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई आदि किसी भी क्रांतिकारी ने अपना चेहरा छुपा कर आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी? चेहरा छुपाकर आज़ादी की लड़ाई लड़ने के पीछे की मंशा तो कुछ और ही है, आज़ादी नहीं। फिर अलगाववादी नेता अपने बच्चों को कश्मीर से बाहर क्यों रखे हुए हैं? क्या उनको आज़ादी और जन्नत में 72 हूरें चाहिए? भारत की आज़ादी के सैनानी स्वयं अग्रिम पंक्ति में थे, न कि पीछे। उनके परिवार कहीं छुपकर नहीं रहते थे। लेकिन जितने भी अलगाववादी नेता हैं अपने बच्चों को जन्नत में 72 हूरों से आनन्द लेने से वंचित रखे हुए हैं। फिर कश्मीरियों से अधिक मरने वाले पाकिस्तानी हैं, तो कश्मीरी पाकिस्तान के कंधे और उनकी लाशों पर इतना घिनौना खेल खेल रहे हैं।
मस्जिदों में बैठकर भड़काऊ भाषण देते हो, मस्जिद से बाहर बोलने की तुम्हारे में हिम्मत नहीं। केन्द्रीय सरकार और फौज का इतना कड़ा इम्तिहान मत लो, जिस दिन सब्र का बांध टूटा, कहीं फौज भड़काऊ भाषण देते वक़्त तुम अलगाववादियों को ही हूरों के पास न पहुंचा दे। बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है। केन्द्र सरकार और फौज ने हाथों में चूड़ियाँ नहीं पहनी हुई हैं। आज देश में तुष्टिकरण करने वाली सरकार नहीं, सबका साथ सबका विकास करने वाली सरकार है। भारत को खंडित होने से बचाने वाली सरकार है। इतना तुम्हे और तुम्हारे समर्थकों को ध्यान रखना चाहिए।
अब कोई इन अलगाववादी नेताओं से पूछे कि "यदि पाकिस्तान से हाथ मिलाकर जो भारत से अलग होने के लिए कश्मीरियों को मौत के मुँह में धकेल रहे हो, उसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पाकिस्तान में पाकिस्तान मुर्दाबाद नारें क्यों लग रहे हैं।" पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान से आजादी के नारे लगे हैं। पाकिस्तान से आजादी के लिए जनदाली में जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय छात्र संघ द्वारा विशाल रैली आयोजित की गई। रैली में आजादी के नारे लगाए गए। स्थानीय नेता लीकांत खान ने कहा कि पाकिस्तान इस शांतिपूर्ण जगह को बर्बाद करने के लिए यहां आतंकवादियों को भेजता है। पीओके में लगातार आजादी की मांग उठ रही है।
कश्मीर के युवा और छात्र आए दिन स्कूल और कॉलेज में प्रदर्शन करते हैं जिसकी वजह से बार-बार घाटी बंद का ऐलान होता है। इससे साफ पता चलता है कि कश्मीर के लोग क्या चाहते हैं। मीडिया पर निशाना साधते हुए मीरवाइज ने कहा कि मीडिया में कश्मीर और कश्मीर के लोगों को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है। ऐसा करने से सरकार को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। मीरवाइज ने कहा कि कश्मीर का विवाद क्षेत्रीय विवाद से ज्यादा मानवीय विवाद है। कश्मीर के लोगों ने पिछले 70 सालों में जितनी परेशानियां झेली है यह उसी का नतीजा है।
अब सवाल यह होता है कि जब कश्मीरी अपनी आज़ादी के लिए जंग लड़ रहे हैं, फिर अपना मुँह ठाक कर क्यों पत्थरबाज़ी करते हैं? क्यों घरों में छुपकर गोलियाँ चलाते हैं? क्या किसी भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई आदि किसी भी क्रांतिकारी ने अपना चेहरा छुपा कर आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी? चेहरा छुपाकर आज़ादी की लड़ाई लड़ने के पीछे की मंशा तो कुछ और ही है, आज़ादी नहीं। फिर अलगाववादी नेता अपने बच्चों को कश्मीर से बाहर क्यों रखे हुए हैं? क्या उनको आज़ादी और जन्नत में 72 हूरें चाहिए? भारत की आज़ादी के सैनानी स्वयं अग्रिम पंक्ति में थे, न कि पीछे। उनके परिवार कहीं छुपकर नहीं रहते थे। लेकिन जितने भी अलगाववादी नेता हैं अपने बच्चों को जन्नत में 72 हूरों से आनन्द लेने से वंचित रखे हुए हैं। फिर कश्मीरियों से अधिक मरने वाले पाकिस्तानी हैं, तो कश्मीरी पाकिस्तान के कंधे और उनकी लाशों पर इतना घिनौना खेल खेल रहे हैं।
मस्जिदों में बैठकर भड़काऊ भाषण देते हो, मस्जिद से बाहर बोलने की तुम्हारे में हिम्मत नहीं। केन्द्रीय सरकार और फौज का इतना कड़ा इम्तिहान मत लो, जिस दिन सब्र का बांध टूटा, कहीं फौज भड़काऊ भाषण देते वक़्त तुम अलगाववादियों को ही हूरों के पास न पहुंचा दे। बर्दाश्त की भी एक सीमा होती है। केन्द्र सरकार और फौज ने हाथों में चूड़ियाँ नहीं पहनी हुई हैं। आज देश में तुष्टिकरण करने वाली सरकार नहीं, सबका साथ सबका विकास करने वाली सरकार है। भारत को खंडित होने से बचाने वाली सरकार है। इतना तुम्हे और तुम्हारे समर्थकों को ध्यान रखना चाहिए।
अब कोई इन अलगाववादी नेताओं से पूछे कि "यदि पाकिस्तान से हाथ मिलाकर जो भारत से अलग होने के लिए कश्मीरियों को मौत के मुँह में धकेल रहे हो, उसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पाकिस्तान में पाकिस्तान मुर्दाबाद नारें क्यों लग रहे हैं।" पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान से आजादी के नारे लगे हैं। पाकिस्तान से आजादी के लिए जनदाली में जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय छात्र संघ द्वारा विशाल रैली आयोजित की गई। रैली में आजादी के नारे लगाए गए। स्थानीय नेता लीकांत खान ने कहा कि पाकिस्तान इस शांतिपूर्ण जगह को बर्बाद करने के लिए यहां आतंकवादियों को भेजता है। पीओके में लगातार आजादी की मांग उठ रही है।
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