गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव में अब एक नया मोड़ आ सकता है, दरअसल राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल की जीत के लिए कांग्रेस जिस तरीके से माथापच्ची कर रही थी और हालत ये हो गयी थी कि नतीजे के लिए उसे चुनाव आयोग भी जाना पड़ा वो भी एक नही बल्कि 3 बार, उसको देखते हुए लग रहा है कि बीजेपी ऐसे नही बैठने वाली. मामला ऐसा है कि गुजरात में राज्यसभा की 3 सीटों पर बीजेपी अपनी जीत चाहती थी और ऐसे में अहमद पटेल की हार सामने देख कांग्रेस काफी परेशान दिखी. अब तीन सीटों में से 2 बीजेपी को जीत मिली और एक सीट पर कांग्रेस को बड़ी मुश्किल से जीत मिली लेकिन अब जो आसार नजर आ रहे हैं उसको देखकर लग रहा है कि ये जीत भी उसके पास ज्यादा देर तक नही रह सकती. आईये जानते हैं कैसे, अहमद पटेल का चुनाव रद्द हो सकता है.
पहला कारण:
संविधान के तहत बात करें तो अनुच्छेद-141 के तहत सुप्रीम कोर्ट किसी मामले में जो फैसला सुनाता है वो उदाहरण के तौर पर देश का कानून बन जाता है और उसी का उदाहरण को संज्ञान में लेते हुए भविष्य में आने वाले मसलों का हल निकाला जाता है. 2006 में कुलदीप नायर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था जिसके अनुसार तय हुआ था कि राजनीतिक दलों के द्वारा राज्यसभा चुनावों में व्हिप जारी नहीं किया जा सकता.
इन सबके बाद भी कांग्रेस ने गुजरात के अपने सभी 51 विधायकों तथा एनसीपी ने 2 विधायकों से गुजरात राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल को वोट देने के लिए एक व्हिप जारी किया था जोकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है. अब अगर ऐसा है तो कानून का उल्लघंन होने के लिए हो सकता है अहमद पटेल को जितने भी वोट मिले हैं वो अदालत द्वारा अमान्य घोषित किये जा सकते हैं?
दूसरा कारण:
गुजरात राज्य में राज्यसभा की तीन सीटें हैं और इसको देखते हुए उम्मीदवार को एक सीट जीतने के लिए एक चौथाई मतलब 45 विधायकों की जरूरत होती है और इस हिसाब से अहमद पटेल को जीतने के लिए 45 वोटों की जरूरत थी. अपना वोट दिखाने से कांग्रेस के दो विधायकों के वोट रद्द माने गये जिसके बाद कुल 174 विधायकों का कुल वोट 43.4 हो गया.
कंडक्ट ऑफ़ इलेक्शन में नियम-77 के अनुसार, कोई भी वोट आधा नही होता और उसे पूर्णता में बदलना चाहिए. जहां एक सीट जीतने के लिए 45 वोट चाहिए वहीं अहमद पटेल को 43.5 वोट मिले और अगर 43.5 को पूर्ण वोट बनाया जाय तो और उसे 43 के बजाय 44 में बदला जाये तो दो वोट रद्द होने के बाद भी अहमद पटेल को जीत के लिए 45 वोट नहीं मिल रहे, ऐसे में ये भी एक मसला हो सकता है?
अहमद पटेल की जीत के लिए कांग्रेस ऐसी कीमत चुकानी पड़ी
आठ अगस्त (मंगलवार) को गुजरात राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान हुआ. इस मतदान के बाद आए नतीजों में बीजेपी के दो बड़े नेताओं को जीत मिली और कांग्रेस के एक नेता को. जैसा कि पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि बीजेपी के बड़े नेताओं को आसानी से जीत मिल जाएगी क्योंकि गुजरात में BJP के पास 122 विधायक हैं हुआ भी ऐसा ही अमित शाह और स्मृति इरानी को आसानी से जीत मिल गई. कांग्रेस भी अहमद पटेल की जीत को लेकर आशंका जता रही थी लेकिन राज्यसभा चुनाव होने से पहले ही कांग्रेस में फूट पड़ गई थी.
कई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी. कुछ विधायकों ने तो कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में जगह बना दी, फिर भी कांग्रेस चुनाव जीत गई. लेकिन इस जीत के लिए कांग्रेस को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. दिन-रात की मेहनत तो लगी ही साथ ही लगभग 40 लाख रुपये भी इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए चुकाने पड़े.
बीजेपी ने चुनाव से पहले एक ऐसा दाव चला था कि कांग्रेस के अहमद पटेल की सीट पर ख़तरा मंडराने लगा था. बीजेपी ने तीसरी सीट के लिए पूर्व कांग्रेसी नेता बलवंत सिंह राजपूत को समर्थन दे दिया था. चुनावी घोषणा पत्र में राजपूत ने सम्पति का ब्यौरा देते हुए अपनी जायदाद 323 करोड़ रूपये बतायी थी.
इससे जाहिर हो जाता है कि राजपूत नोट और वोट दोनों ही मामलों में अच्छे थे. जैसे कि हम सब जानते हैं कि राज्यसभा चुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस के 6 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और बीजेपी का दामन थाम लिया था. इसके बाद कांग्रेस भांप गई थी कि मामला गड़बड़ा सकता है. कांग्रेस ने बाकी बचे विधायकों को राज्य से बाहर भेजने की तैयारी कर ली, कांग्रेस को इस फैसले के बाद भी झटका लगा. बचे 51 विधायकों में से 44 ही कर्नाटक गए जबकि चुनाव जीतने के लिए 45 वोट चाहिए थे.
कांग्रेस के 44 विधायक बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में रुके. एक रिपोर्ट के अनुसार इस रिसॉर्ट में एक कमरे की एक रात की कीमत सात हज़ार रुपये है. सभी कांग्रेसी विधायकों ने यहाँ 10 दिन बिताये. रिपोर्ट की मानें तो अगर एक कमरे में दो विधायक भी ठहरे होंगे तो भी कांग्रेस को कम से कम 15.50 लाख रूपये केवल कमरे का किराया देना पड़ा. अगर एक कमरे में एक विधायक रहा होगा तो ये आंकड़ा दोगुना हो जाता है यानी 30 लाख. इसके अलावा खाने-पीने पे भी अलग से खर्च हुआ होगा.
कांग्रेस के सारे विधायक जो कर्नाटक की राजधानी में थे चुनाव से एक दिन पहले गुजरात पहुंचे लेकिन वो अपने घर नहीं गए बल्कि उन्हें वहां भी एक रिसॉर्ट में ठहराया गया. इस रिसॉर्ट में भी कांग्रेस का अच्छा ख़ासा पैसा खर्च हुआ. इस खर्चे का अनुमान 1.50 से लेकर 3 लाख तक लगाया गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ सारे विधायक प्लेन से आए गए थे इस में भी कांग्रेस को कम-से-कम 4 लाख तक का खर्चा उठाना पड़ा होगा.
कांग्रेस द्वारा उसके विधायकों पर किये गए खर्चों को जोड़ा जाए तो कांग्रेस को अहमद पटेल की जीत पक्की करने के लिए 35-40 लाख रुपये खर्च करने पड़े. इस चुनाव को मीडिया ने अमित शाह बनाम अहमद पटेल बना दिया था तो चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस को राहत महसूस हुई होगी. लेकिन सोचने वाली बात ये भी है कि एक समय पर भारत पर राज करने वाली पार्टी के अब ऐसे दिन आ गए हैं कि वो जीत के लिए कई पैंतरों का सहारा ले रही है. अहमद पटेल को जीत दिलाने के लिए कांग्रेस ने जो काम किये हैं उससे देखकर पता चल जाता है कि कांग्रेस के अब बुरे दिन आ गए हैं. जो पार्टी कभी आसानी से जीत दर्ज कर लेती थी वो आज एक जीत हासिल करने के लिए लाखों रूपये खर्च कर रही है.
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