आर. बी. एल. निगम
योगी आदित्य नाथ |
न काहु से दोस्ती न काहु से बैर
सभी दुर्बलों के साथ हो तुम
तुम सन्यासी तुम भारतवासी
तुम कोमल भी कभी उग्र संवाद हो
तुम धरा धर्म को जो खुद का लहू भी दे दे
ऐसी अविरल उन्माद हो तुम
अध्यात्म को तुमने शास्त्र सिखाया
धर्म रक्षा को शस्त्र भी उठाया
हाँ योगी आदित्यानाथ हो तुम
परशुराम राम के तुम हो वन्सज,
माँ भारती के आँचल की लाज हो तुम
परशुराम राम के तुम हो वन्सज,
माँ भारती के आँचल की लाज हो तुम
भारत के धर्म और संस्कारों के रक्षक
गौ हत्यारों का सर्वनाश हो तुम
अनाचार के अंधकार को मिटाते
आदित्य सदाचार के विश्वास हो तुम
उठो आदित्य जनता मे विश्वास भरो
सोए लोगों को जगाने वाला शंखनाद तो तुम
हाँ योगी आदित्यनाथ हो तुम
माना भूल बड़ी हुई थी वहाँ लोगों मे
सत्ता स्वयं सौंप दी थी हत्यारों के हाथों मे
शासन दर्द बाँट रहा राम कृष्ण की घाटी मे
दर्द छलक रहा जन मानस की छाती मे
हो रही अपावन उत्तरप्रदेश की माटी
ध्यान रहे अमानुष की प्रबल इक आस हो तुम
उत्तरप्रदेश मे अंधेरा छटेगा
कमल खिला
अटल. मोदी रचना का करता आभास हो तुम
हाँ योगी आदित्यनाथ हो तुम
अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ योगी आदित्य नाथ आज एक कोई अजनबी नाम नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही भारतीय राजनीति में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के बाद एक स्तम्भ के रूप में स्थापित हो गए हैं। जो अपने निर्णयों से सबकी नींदें हराम कर रहे हैं। कारण है : इनके द्वारा सख्त निर्णय, जिनसे राज्य अभी तक अनजान था; दूसरे इनके मुख्यमन्त्री बनने से प्रदेश की जनता में राहत अनुभव ; तृतीय, हिन्दुओं में सुरक्षा की भावना, आदि।
योगी आदित्यनाथ ने जब 5 सितम्बर 2017 को प्रदेश की बागडोर सम्भाली, उस समय प्रदेश बहुत विषम परिस्थितियों से गुजर रहा था। कहीं साम्प्रदायिक दंगा तो कहीं जाति के नाम पर झगड़ा। अनेक अवसर ऐसे भी आए जब हिन्दुओं को अपने मन्दिरों एवं त्यौहार आदि मनाने में कठिनाई होने के कारण और तत्कालीन सरकारों द्वारों द्वारा तुष्टिकरण नीति अपनाए जाने की वजह से अपने आपको असुरक्षित अनुभव कर रहे थे। हिन्दुओं को अपने पुश्तैनी मकान बेचने को मजबूर होना पड़ रहा था। परन्तु योगीजी के सत्ता सँभालते ही प्रदेश की जनता ने राहत की साँस ले रहे हैं।
जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।
योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। आपने विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की तथा छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।
आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। अस्सी के दशक में अभिनेता विनोद खन्ना अभिनीत फिल्म “इम्तिहान” के गीत “रुक जाना नहीं, तू कहीं हार के,...” योगी भी इस गीत को चरितार्थ करते रहे। इसी कारण सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। अर्थात सत्य की कठिन डगर को सुगम बनाते निरन्तर अग्रसर रहे, कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, क्योकि सत्य की राह पर चलने वालों को केवल श्रीगणेश करने में ही कठिनाई होती है, मार्ग देखते-देखते कांटे फूलों में परिवर्तित होते रहे। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।
अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जन जागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जन मानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।
अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर आपने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्राम सभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको वर्ष 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर पांच बार लोकसभा का सदस्य बनाया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण आपको केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।
व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आप लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव रहे।
हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दु महासंघ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। सम्प्रति आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ।
आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रम साध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार-पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही ‘यौगिक षटकर्म’, ‘हठयोग: स्वरूप एवं साधना’, ‘राजयोग: स्वरूप एवं साधना’ तथा ‘हिन्दू राष्ट्र नेपाल’ नामक पुस्तकें लिखीं। श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी’ के आप प्रधान सम्पादक हैं तथा ‘हिन्दवी’ साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक रहे। आपका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।
भगवामय बेदाग जीवन- योगी आदित्यनाथ जी महाराज एक खुली किताब हैं जिसे कोई भी कभी भी पढ़ सकता है। उनका जीवन एक योगी का जीवन है, सन्त का जीवन है। पीड़ित, गरीब, असहाय के प्रति करुणा, किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध तन कर खड़ा हो जाने का निर्भीक मन, विचारधारा एवं सिद्धान्त के प्रति अटल, लाभ-हानि, मान-सम्मान की चिन्ता किये बगैर साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास उनकी पहचान है।
पीड़ित मानवता को समर्पित जीवन - वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग उन्होंने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है -
‘न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्।
कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।।
अर्थात् ‘‘हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।’’
योगी आदित्यनाथ जी महाराज को निकट से जानने वाला हर कोई यह जानता है कि वे उपर्युक्त अवधारणा को साक्षात् जीते हैं। वरना जहाँ सुबह से शाम तक हजारों सिर उनके चरणों में झुकते हों, जहाँ भौतिक सुख और वैभव के सभी साधन एक इशारे पर उपलब्ध हो जायं, जहाँ मोक्ष प्राप्त करने के सभी साधन एवं साधना उपलब्ध हों, ऐसे जीवन का प्रशस्त मार्ग तज कर मान-सम्मान की चिंता किये बगैर, यदा-कदा अपमान का हलाहल पीते हुए इस कंटकाकीर्ण मार्ग का वे अनुसरण क्यों करते?
सामाजिक समरसता के अग्रदूत- ‘जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई’ गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से ‘एक साथ बैठें-एक साथ खाएँं’ मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।
भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक - योगी जी के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अस्सी के दशक में गुटीय संघर्ष एवं अपराधियों की शरणगाह होने की गोरखपुर की छवि योगी जी के कारण बदली है। अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण आज पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपराधियों के मनोबल टूटे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में योगी जी के संघर्षों का ही प्रभाव है कि माओवादी-जेहादी आतंकवादी इस क्षेत्र में अपने पॉव नही पसार पाए। नेपाल सीमा पर राष्ट्र विरोधी शक्तियों की प्रतिरोधक शक्ति के रुप में हिन्दु युवा वाहिनी सफल रही है।
शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के पुजारी- सेवा के क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने भी और सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया है। योगी जी के नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा आज तीन दर्जन से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद में कुष्ठरोगियों एवं वनटांगियों के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा से लेकर बी0एड0 एवं पालिटेक्निक जैसे रोजगारपरक सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भगीरथ प्रयास जारी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय ने अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी है। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों ने जनता के घर तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुचायी हैं।
विकास के पथ पर अनवरत गतिशील - योगी आदित्यनाथ जी महाराज के व्यक्तित्व में सन्त और जननेता के गुणों का अद्भुत समन्वय है। ऐसा व्यक्तित्व विरला ही होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहॉ वे धर्म-संस्कृति के रक्षक के रूप में दिखते हैं तो दूसरी तरफ वे जनसमस्याओं के समाधान हेतु अनवरत संघर्ष करते रहते है; सड़क, बिजली, पानी, खेती आवास, दवाई और पढ़ाई आदि की समस्याओं से प्रतिदिन जुझती जनता के दर्द को सड़क से संसद तक योगी जी संघर्षमय स्वर प्रदान करते रहे हैं। इसी का परिणाम है कि केन्द्र और प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की सरकार होने के बावजूद गोरखपुर विकास के पथ पर अनवरत गतिमान है।
बूचड़खानों पर नकेल : इनके मुख्यमन्त्री बनने से पूर्व प्रदेश इतने बूचड़खाने खुल चुके थे, लेकिन कुर्सी की भूख ने किसी उन्हें बंद करवाने का लेशमात्र भी प्रयास नहीं किया। जिसे मुस्लिम समुदाय अपना अधिकार समझ मनमानी करते कानून की धज्जियाँ उड़ाते रहे, और सरकार मात्र एक मूक दर्शक बन देखती रही। लेकिन योगीजी ने “सबका साथ, सबका विकास” के अन्तगर्त तुष्टिकरण को धता दिखा जितने भी अवैध बूचड़खाने थे, लगभग सभी पर ताला डलवा दिया। घोर विरोध हुआ, लेकिन कर्मयोगी और निष्ठावान योगी लेशमात्र भी विचलित नहीं हुए।
महिला सुरक्षा : प्रदेश में भाजपा के आने से पूर्व महिला सुरक्षा तार-तार हो रही थी, दिन-प्रतिदिन होते बलात्कार। सब्र का पैमाना महिलाओं का उस समय टूट गया, जब समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक सभा में कह दिया “बच्चे है, बच्चों से गलती हो ही जाती है”, जब प्रदेश के प्रमुख दल के भारी भरकम नेता का ऐसा कथन हो, उस स्थिति में प्रदेश में महिलाओं की दुर्गति होना कोई बड़ी बात नहीं। लेकिन योगीजी ने मुख्यमन्त्री बनते ही प्रदेश में एंटी-रोमियो स्क्वाड बनाकर महिलाओं को सम्मानपूर्वक रहने का अधिकार दिया। आज कोई मुलायम सिंह इतनी हल्की बात कहने की सोंच भी नहीं सकता। जिस नारी की पिछली सरकारों ने ऐसी दशा बना दी हो :--
हाय अबला तेरी यही कहानी ,
आंचल में है दूध और आँखों में पानी।
लेकिन योगी ने योगी दीक्षा देकर उसी अबला नारी को सम्मानित करने में कटिबद्ध है:--
नारी तू श्रद्धा है, अबला नहीं, ममता की देवी है,
तू ही ज्वाला माँ तू ही अन्नपूर्णा माता
कानून व्यवस्था : प्रदेश की बागडोर सँभालते समय यहाँ की कानून व्यवस्था की स्थिति किसी अबला नारी से भी अधिक दयनीय थी। लेकिन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने असामाजिक तत्वों को सर्वप्रथम सावधान किया कि “सभ्यता के साथ मुख्य धारा से जुड़ प्रदेश को विकास की ऊंचाइयों तक लेकर चलने में भागीदार बने या फिर प्रदेश छोड़ जाएँ।” परन्तु असामाजिक तत्वों के आकाओं को मुख्यमन्त्री की शिक्षा कहाँ भाए। किन्तु कर्मप्रधान योगी ने उनको उन्ही की भाषाशैली में समझाना शुरू कर दिया। अब हथेली पर तो सरसों जमती नहीं, जो व्यवस्था इतने वर्षों से तार-तार हुई पड़ी थी, आखिर उसको लाइन पर आने में कुछ तो समय लगेगा ही। फिर पहले की तुलना में आज प्रदेश की जनता काफी राहत अनुभव कर रही है। जबकि विरोधी अस्थिर करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। पहले पुलिस रिपोर्ट लिखने में बहाने करती थी, आज परिस्थितियां एकदम विपरीत है। वही पुलिस, वही कानून किन्तु सख्त प्रशासक ने सभी को सुचारु रूप से काम करने के लिए मजबूर कर दिया।
शिक्षा में सुधार : उत्तर प्रदेश जिसने देश को एक से बढ़ कर एक नेता और अधिकारी दिए, उसी प्रदेश में कुर्सी की लालसा में पिछली सरकारों ने शिक्षा क्षेत्र को भी नहीं छोड़ा। अध्यापक जिनकी महानता में कबीरदास ने लिखा :
गुरु गोबिन्द दोउ खड़े, कहु लागु पॉंव,
बलिहारी गुरु आपने, गोबिन्द दियो मिलाए।
आज प्रदेश के कई अध्यापकों को देश के प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति, प्रदेश के मुख्यमन्त्री के नाम तक नहीं ज्ञात, दिन एवं महीनो के नाम स्वयं ठीक से लिख नहीं पाते अपने छात्र/छात्राओं को क्या शिक्षा देंगे? उन पर कार्यवाही किए जाने से जनता में रोष जरूर है, लेकिन अभिभावकों में ख़ुशी की लहर। मुख्यमंत्री योगी से पूर्व प्रदेश में पिछले दो दशक में जितने भी मुख्यमंत्री सत्तारूढ़ रहे सबने केवल अपने वोट पर ध्यान केन्द्रित रखा, बच्चों यानि देश के भविष्य को ताक पर रखा।
वैसे 1998 से लोक सभा सदस्य होने के नाते योगी जी ने प्रदेश की तत्कालीन सरकारों के असहयोग के बावजूद जनहित में कार्य करने के कारण 2014 तक गोरखपुर से सांसद रहे। योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी संगठन के माध्यम से हिन्दू हितों की रक्षा के संघर्षरत रहे।
ग्राम विकास एवं सुंदरीकरण : सौभाग्य से आज प्रदेश को मुख्यमंत्री के रूप में योगी जैसे देवतुल्य अभिभावक एवं सांसद का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। आपके विकास कार्यों से पूरे संसदीय क्षेत्र में सम्पूर्ण विकास हुआ है। ग्रामों का भी उचित एवं सुन्दर विकास हुआ है। किन्तु इन सबके बीच सहजनवा थाने के अंतर्गत आने वाला गांव "मटियारी" जहाँ की जनता से आपका गहरा संबंध रहा है विकास की दौड़ में कुछ पीछे रह गया है। विगत कई वर्षों से अन्य ग्रामों में पक्की सड़कों एवं नालियों का निर्माण हुआ है, परन्तु ग्राम मटियारी में न ही जल निकासी की कोई व्यवस्था है और न ही सड़कों की। जिला पंचायत सदस्य ने कुछ कार्य कराया है, किंतु वह अपर्याप्त है। केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई "दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना" के तहत लगवाई जाने वाली सोलर लाइटों में से 2 सोलर लाइट मटियारी गांव में भी लगवाने का प्रयास किया जा रहा है।
बुंदेलखंड में हिन्दू जागरूकता : यहाँ पर समाज विरोधी तत्वों के कारण कठिनाइयों का सामना करते हिन्दू समाज में नवचेतना लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण इन्हें नयी ऊर्जा प्रदान की। बुन्देलखण्ड वीरो की भूमि है राजा छत्रसाल,रानी लक्ष्मीबाई,आला ,ऊदल जैसे वीर योद्धा इसी भूमि से जन्म लिए यह भूमि चर्चित रही है।
बिजली चोरी : अब तक प्रदेश में पिछली सरकारों ने जनता को बिजली के संकट से मुक्त करवाने का प्रयास नहीं किया। बिजली के तारों का जाल बिछ गया, परन्तु जनता एक बगुले के समान बिजली को तरसती रहती थी। क्योकि बिजली नेताओं और बिजली विभाग की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर चोरी हो रही थी। जिस पर बिना किसी विलम्भ के कार्यवाही होने से उत्तर प्रदेश में बिजली संकट समाप्त होने के अलावा सरकारी राजस्व में वृद्धि हो रही है और गांव गांव बिजली पहुँचाने के अपने स्वप्न को साकार कर मुख्यमंत्री एक योगी के नाम को साकार करने में प्रयत्नशील है।
वक्फ बोर्ड : आज देश के प्रत्येक प्रान्त में वक्फ बोर्ड गठित है और दिल्ली से लेकर कश्मीर तक वक्फ बोर्ड को नहीं मालूम कि वक्फ के पास कितनी संपत्ति है। गंभीरता से इसकी जाँच करने पर ज्ञात होगा कि इस बोर्ड में कितने घोटाले हो रहे हैं, योगी सरकार ने इसके संकेत दे दिए हैं, जो अपने आपमें एक महान उपलब्धि है। जिस काम को केन्द्र सरकार नहीं कर पायी, योगी सरकार ने इस ओर कदम बढ़ा कर, मुस्लिम नेताओं द्वारा सरकारी खजाने को लूट अपनी तिजोरियां भरे जाने पर चोट मारी है। यदि वक्फ बोर्ड नियमित रूप से अपनी संपत्तियों का किराया वसूलती रहे, इसे किसी पर आश्रित होने की जरुरत नहीं। विपरीत इसके सरकार के राजस्व में योगदान कर सकता है।
इस सन्दर्भ में स्मरण होता है, अस्सी के दशक में, पत्रकारिता प्रारम्भ करते समय एक पत्रकार मित्र ने बताया कि “सिविल लाइन्स(दिल्ली) में राज्यपाल निवास के निकट कब्रिस्तान की ज़मीन पर फ्लैट्स बन रहे है, अगर तुम इस पर स्टोरी कर लो, प्रकाशित होने पर वक्फ बोर्ड में खलबली मच जाएगी”, जगह देखी, फिर दरिया गंज स्थित वक्फ बोर्ड कार्यालय पहुँचने पर जो नेक सलाह सुनने को मिली, आत्मा प्रसन्न हो गयी। सचिव कार्यालय में कुछ और भी अधिकारी आ गए, अपनी ज़िन्दगी और अपने परिवारों के लिए हाथ जोड़ बोले, “निगम साहब, आपका तो नाम हो जाएगा, लेकिन हमें बचाने वाला कोई नहीं होगा। हमारे बच्चे यतीम हो जाएंगे। एक बार कार्यवाही करने पर जामा मस्जिद और निजामुद्दीन के इमामों के गुंडे आ गए और पुलिस द्वारा समझाने पर हमने कदम पीछे हटा लिए। कोई पार्टी या नेता हमारी हिमायत में खड़ा हुआ। यही वजह है वक्फ बोर्ड को नहीं मालूम उसकी कितनी ज़मीन और संपत्ति है?”
योगी जी ने 21 वर्ष की आयु में परिवारवाद त्याग गोरखनाथ मठ में महन्त अवैधनाथ की शरण में चले गए। जहाँ इनका नामांकरण अजय की बजाए आदित्यनाथ हुआ। इनकी मठ के प्रति श्रद्धा एवं परिश्रम से प्रभावित होकर महन्त अवैधनाथ ने अपना पुत्र घोषित कर, 1994 में अपना उत्तराधिकारी भी मनोनीत कर दिया। महंत जी रामजन्मभूमि निर्माण में संलग्न होने के कारण, इस आंदोलन से जुड़ गए। महंत अवैधनाथ हिन्दू महासभा से सम्बन्धित होने के कारण आदित्य नाथ भी हिन्दू महासभा के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे, लेकिन 1991 में भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित हो गए।
पांच बार सांसद रहते, इनकी लोकसभा में 77 प्रतिशत उपस्थिति और प्रदेश हित में लगभग 300 से अधिक प्रश्न संसद पटल पर रखे, लगभग 60 डिबेट्स में भाग लेने के अतिरिक्त 16वी लोकसभा में 3 प्राइवेट बिल भी संसद के पटल रखे।
मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने सिद्ध कर दिया कि एक योगी मात्र किसी मठ या आश्रम में बैठ धर्म प्रचारक नहीं रह सकता, उसे जनता को मानवता का ज्ञान देने अपने मठ अथवा आश्रम से बाहर निकल कर सुबुद्धि देने सड़क पर आना पड़ेगा , यही है वास्तव में प्रभु भक्ति और उसके दिए ज्ञान को विस्तारित करना। योगी द्वारा उठाये अब तक किसी भी कदम से किसी स्वार्थ भावना का बोध नहीं होता। बल्कि वोट के भूखे नेताओं द्वारा अपनी कुर्सी के लिए जिस जनता को धर्म, जाति अथवा संप्रदाय में विभाजित कर दिया है, उस तुष्टिकरण को समाप्त करने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कटिबद्ध है।
हिन्दू समाज विख्यात : "मन्दिर लगता आडंबर , और मदिरालय में खोए है ,"
"भूल गए कश्मीरी पंडित , और अफजल पे रोए है........"
"इन्हें गोधरा नही दिखा , गुजरात दिखाई देता है ,"
"एक पक्ष के लोगों का , जज्बात दिखाई देता है........"
"हिन्दू को गाली देने का , मौसम बना रहे है ये ,"
"धर्म सनातन पर हँसने को , फैशन बना रहे है ये......."
"टीपू को सुल्तान मानकर , खुद को बेच कर भूल गए ,"
"और प्रताप की खुद्दारी की , घास की रोटी भूल गए......."
"आतंकी की फाँसी इनको , अक्सर बहुत रुलाती है ,"
"गाय माँस के बिन भोजन की , थाली नही सुहाती है......."
"होली आई तो पानी की , बर्बादी पर ये रोतेे है ,"
"रेन डाँस के नाम पर , बहते पानी से मुँह धोते है........"
"दीवाली की जगमग से ही , इनकी आँखे डरती है ,"
"थर्टी फस्ट की आतिशबाजी , इनको क्यों नहीं अखरती है......."
"देश विरोधी नारों को , ये आजादी बतलाते है ,"
"राष्ट्रप्रेम के नायक संघी , इनको नही सुहाते है........"
"सात जन्म के पावन बंधन , इनको बहुत अखरते है ,"
"लिव इन वाले बदन के , आकर्षण में आहें भरते है....."
"आज समय की धारा कहती , मर्यादा का भान रखो ,"
"मूल्यों वाला जीवन जी कर , दिल में हिन्दूस्तान रखो........"
"भूल गया जो संस्कार , वो जीवन खरा नहीं रहता ,"
"जड़ से अगर जुदा हो जाए , तो पत्ता हरा नहीं रहता........"
(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार एवं दो पुस्तकों का रचियता है।
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