आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली में प्रदूषण होने पर स्कूल बंद, हिन्दुओं की दीपावली पर आतिशबाज़ी पर प्रतिबन्ध, निर्माण कार्यों में रुकावट आदि करके कुछ काम न करने वाले मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल क्या-क्या स्वांग खेल जनता को भ्रमित कर रहे हैं। ऑड और इवन के चक्कर में दिल्ली की मूर्ख बनाया जा रहा है।
जबकि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में यही स्थिति होने पर वहाँ के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने अपने परोसी राज्यों के मुख्यमन्त्रियों से मिलने का स्वांग खेलने की बजाए इस समस्या से लड़ने के लिए अपने अधिकारीयों से जल्द उचित कार्यवाही करने के निर्देश देकर, जनता को राहत देने में सफलता पायी। एक केजरीवाल है जो अपनी नाकामियों को छुपा एक-दूसरे मुख्यमन्त्री से मिलने का ड्रामा कर रहे हैं। जिसमे कार्य करने की क्षमता होती है, उसे इधर-उधर बगलें झांगने की आदत नहीं होती।
केजरीवाल जी योगी-मोदी का विरोध करने की बजाए इनसे कार्य क्षमता सीखो। बहुत हो गए नाटक।
एक मामूली प्रयास से शहर के लोगों को प्रदूषण से राहत मिल गयी। नवम्बर 16 को सुबह से शाम तक विभिन्न स्थानों पर हुए पानी के छिड़काव से प्रदूषण का स्तर न सिर्फ घटकर आधा हो गया बल्कि यूपी के अन्य जिलों की तुलना में सबसे कम हो गया. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 238 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर रिकार्ड किया जबकि एक दिन पहले 404 माइक्रोग्राम था। गुरुवार को देश का सबसे प्रदूषित शहर मुरादाबाद रहा. यहां एक्यूआई 421 माइक्रोग्राम रहा. दूसरे नम्बर पर गाजियाबाद रहा. यहां एक्यूआई 419 माइक्रोग्राम रहा.
दिल्ली में प्रदूषण होने पर स्कूल बंद, हिन्दुओं की दीपावली पर आतिशबाज़ी पर प्रतिबन्ध, निर्माण कार्यों में रुकावट आदि करके कुछ काम न करने वाले मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल क्या-क्या स्वांग खेल जनता को भ्रमित कर रहे हैं। ऑड और इवन के चक्कर में दिल्ली की मूर्ख बनाया जा रहा है।
जबकि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में यही स्थिति होने पर वहाँ के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने अपने परोसी राज्यों के मुख्यमन्त्रियों से मिलने का स्वांग खेलने की बजाए इस समस्या से लड़ने के लिए अपने अधिकारीयों से जल्द उचित कार्यवाही करने के निर्देश देकर, जनता को राहत देने में सफलता पायी। एक केजरीवाल है जो अपनी नाकामियों को छुपा एक-दूसरे मुख्यमन्त्री से मिलने का ड्रामा कर रहे हैं। जिसमे कार्य करने की क्षमता होती है, उसे इधर-उधर बगलें झांगने की आदत नहीं होती।
केजरीवाल जी योगी-मोदी का विरोध करने की बजाए इनसे कार्य क्षमता सीखो। बहुत हो गए नाटक।
एक मामूली प्रयास से शहर के लोगों को प्रदूषण से राहत मिल गयी। नवम्बर 16 को सुबह से शाम तक विभिन्न स्थानों पर हुए पानी के छिड़काव से प्रदूषण का स्तर न सिर्फ घटकर आधा हो गया बल्कि यूपी के अन्य जिलों की तुलना में सबसे कम हो गया. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 238 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर रिकार्ड किया जबकि एक दिन पहले 404 माइक्रोग्राम था। गुरुवार को देश का सबसे प्रदूषित शहर मुरादाबाद रहा. यहां एक्यूआई 421 माइक्रोग्राम रहा. दूसरे नम्बर पर गाजियाबाद रहा. यहां एक्यूआई 419 माइक्रोग्राम रहा.
टैंकरों से छिड़काव
पिछले दस दिन से लखनऊ में प्रदूषण की स्थिति खतरनाक थी. जिलाधिकारी ने विभागों को जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए थे लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. बुधवार को जब सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान आया और कृत्रिम वर्षा कराने की घोषणा की तो नगर निगम के साथ फायर ब्रिगेड विभाग कृत्रिम बारिश कराने में जुट गया.
प्रदूषण का स्तर घटा
सुबह कई क्षेत्रों में जलकल विभाग के टैंकर सड़क पर छिड़काव करने में जुट गए. फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने भी पेड़ों की धुलाई के साथ सड़कों पर छिड़काव किया, लिहाजा धूल के कण हवा में पहुंचने से रुक गए और प्रदूषण का स्तर 236 माइक्रोग्राम पर टिक गया. पीएम 2.5 भी 302 माइक्रोग्राम से ऊपर नहीं पहुंचने पाया।
प्राप्त समाचारों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और आसपास के इलाकों के वातावरण में सात नवंबर के बाद करीब सप्ताह भर तक दम घोट देनेवाले स्मॉग के लिए खाड़ी देशों की धूल जिम्मेदार है। हवा की गुणवत्ता पर अनुसंधान करने वाली सरकारी संस्था सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी ऐंड वेदर फोरकास्टिंग ऐंड रिसर्च (एसएएफएआर) के एक विश्लेषण से पता चला खाड़ी के देशों की धूल भारत आ रही है।
एसएएफएआर ने दावा किया कि स्मॉग में खाड़ी के देशों से आने वाली धूल की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है, जबकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का इसमें करीब 25 प्रतिशत योगदान है। बाकी के 35 प्रतिशत प्रदूषकों में दिल्ली-एनसीआर में पैदा होनेवाले स्थानीय प्रदूषक शामिल हैं। हवा के साथ खाड़ी से धूल और पंजाब व हरियाणा में फसलों के अवशेषों को जलाने से उठ रहा धुआं दिल्ली-एनसीआर में आ गया। हालात तब बिगड़े जब एक ऐंटी-साइक्लोनिक विन्ड की वजह से ये प्रदूषक सतह के नजदीक इकट्ठे हो गए।
एसएएफएआर के प्रमुख गुरफान बेग ने बताया इन प्रदूषकों की दिल्ली-एनसीआर में घुसपैठ छह नवंबर की रात से शुरू हुई जो दस नवंबर तक जारी रही। उन्होंने कहा कि सात नवंबर को शाम पांच बजे तक एयर क्वॉलिटी खराब होकर गंभीर स्तर पर पहुंच गई। सात नवंबर को पीएम 2.5 का स्तर 537 माइक्रोग्राम/घनमीटर पहुंच गया जो 24 घंटे के औसत स्तर से 7 गुना ज्यादा था। अगले दिन यह 640 माइक्रोग्राम/घनमीटर पर पहुंच गया।
प्राप्त समाचारों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और आसपास के इलाकों के वातावरण में सात नवंबर के बाद करीब सप्ताह भर तक दम घोट देनेवाले स्मॉग के लिए खाड़ी देशों की धूल जिम्मेदार है। हवा की गुणवत्ता पर अनुसंधान करने वाली सरकारी संस्था सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी ऐंड वेदर फोरकास्टिंग ऐंड रिसर्च (एसएएफएआर) के एक विश्लेषण से पता चला खाड़ी के देशों की धूल भारत आ रही है।
एसएएफएआर ने दावा किया कि स्मॉग में खाड़ी के देशों से आने वाली धूल की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है, जबकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का इसमें करीब 25 प्रतिशत योगदान है। बाकी के 35 प्रतिशत प्रदूषकों में दिल्ली-एनसीआर में पैदा होनेवाले स्थानीय प्रदूषक शामिल हैं। हवा के साथ खाड़ी से धूल और पंजाब व हरियाणा में फसलों के अवशेषों को जलाने से उठ रहा धुआं दिल्ली-एनसीआर में आ गया। हालात तब बिगड़े जब एक ऐंटी-साइक्लोनिक विन्ड की वजह से ये प्रदूषक सतह के नजदीक इकट्ठे हो गए।
एसएएफएआर के प्रमुख गुरफान बेग ने बताया इन प्रदूषकों की दिल्ली-एनसीआर में घुसपैठ छह नवंबर की रात से शुरू हुई जो दस नवंबर तक जारी रही। उन्होंने कहा कि सात नवंबर को शाम पांच बजे तक एयर क्वॉलिटी खराब होकर गंभीर स्तर पर पहुंच गई। सात नवंबर को पीएम 2.5 का स्तर 537 माइक्रोग्राम/घनमीटर पहुंच गया जो 24 घंटे के औसत स्तर से 7 गुना ज्यादा था। अगले दिन यह 640 माइक्रोग्राम/घनमीटर पर पहुंच गया।
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