आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अभी अयोध्या, काशी और मथुरा मंदिर विवाद सुलझा नहीं है कि एक और विवाद सामने आ गया । सहारनपुर की दारुल उलूम निसवा नाम की संस्था के वाइस चांसलर मुफ्ती अब्दुल लतीफ ने कहा बद्रीनाथ तो बदरूद्दीन शाह हैं। यह मुसलमानों का धार्मिक स्थल है । हिन्दुओं को इसे मुसलमानों के हवाले कर देना चाहिए ।
हिन्दू समुदाय के पवित्रतम तीर्थस्थलों में शुमार बद्रीनाथ धाम पर एक मौलाना ने दावा किया है। मौलाना का कहना है कि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम सदियों पहले मुसलमानों का तीर्थस्थल था। मदरसा दारुल उलूम निश्वाह के मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने दावा किया है कि सैकड़ों साल पहले बद्रीनाथ धाम बदरुद्दीन शाह या बद्री शाह के नाम से जाना जाता था।
मुफ़्ती लतीफ मियाँ पता नहीं, कहाँ से इस ग़लतफ़हमी में पड़ गए। याद रखिए, यदि आज भी कोर्ट रामजन्मभूमि स्थल पर हुई खुदाई में मिले समस्त अवशेषों का संज्ञान ले, उस स्थिति में कोई भी कानून बाबरी के बदले में भारत के किसी भी कोने में बनाने की इजाजत नहीं दे सकता, और उस बौखलाहट में इस तरह के उल्टे बयान देकर, क्यों अपनी भद पिटवा रहे हो। तुम्हारी अभद्र ग्लानि भरी वाणी बौखलाहट को बयां कर रही है। लतीफ़ मियां एक बात और ध्यान रखिए, जिस दिन वास्तविक इतिहास सामने आएगा, कहीं टिक नहीं पाओगे।
विदेश में लोग भारत के वास्तविक इतिहास पर शोध कर रहे हैं, लेकिन भारत में मुग़ल वंशज और हिन्दू जयचन्द झूठलाने में दिन-रात एक किए हुए हैं। वर्तमान जयचन्दों ने हिन्दू सम्राटों के विरुद्ध मुगलों की सहायता करने वाले जयचन्दों से कुछ नहीं सीखा, क्या मुगलों की सहायता करने पर उन्हें क्या मिला? शायद इतिहास से ही गायब हो गए।
असल में मुफ्ती अब्दुल लतीफ को पता चला कि, बद्रीनाथ के आसपास उत्तराखंड रक्षा अभियान दल नाम की संस्था कोई अभियान चला रही है। जिसके तहत बद्रीनाथ के आसपास रहने वाले मुसलमानों से कहा जा रहा है कि, अगर मुसलमानों को बद्रीनाथ में रहना है तो उन्हें गोमूत्र और गंगाजल पीना पड़ेगा । यह बात सही है या नहीं इसकी जांच पडताल किए बगैर लतीफ आग बबूला हो गए। उन्होंने कहा कि, उत्तराखंड रक्षा दल अभियान से जुड़े लोग अनपढ़ है उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं हैं। बद्रीनाथ तो मुसलमानों का तीर्थ है। किसी के नाम के आगे नाथ लगाने से वो हिन्दुओं का नहीं हो जाएगा । उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मांग की है कि, वो बद्रीनाथ को मुसलमानों के हवाले करें। गनीमत है, मुफ़्ती साहब ने यह नहीं कहा कि मुगलों ने इतने वर्ष भारत पर राज किया, भारत पर हमारा हक़ है, हिन्दुओं का नहीं।
मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि इस धार्मिक स्थल को हिन्दुओं से लेकर मुसलमानों को सौंपा जाए। मौलाना ने कहा कि ये तीर्थस्थल हिन्दुओं का नहीं हो सकता, मौलाना के मुताबिक बद्री नाम में बाद में नाथ लगाया गया, लेकिन इससे वो हिन्दू नहीं हो जाते। मदरसा दारुल उलूम निश्वाह सहारनपुर में काम करने वाली संस्था है। मुफ्ती अब्दुल लतीफ इस संस्था के वीसी हैं। अब्दुल लतीफ के इस बयान की हिन्दुओं और मुसलमान दोनों ने ही आलोचना की है, और कहा है कि वे बकवास बयान है।
बद्रीनाथ में भी इस बयान की आलोचना हुई है। बद्रीनाथ के पुजारियों और वहां के स्थानीय लोगों ने इस मौलाना को पागल करार दिया है। बद्रीनाथ के एक मौलाना ने कहा कि मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी को पता होना चाहिए कि बद्रीनाथ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने तब की थी जब इस्लाम वजूद में भी नहीं था। योग गुरु बाबा रामदेव ने भी मौलाना अब्दुल के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बाबा रामदेव ने कहा कि ऐसे शख्स इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं। बाबा रामदेव ने ट्वीट किया, ‘ऐसे मौलाना बद्रीनाथ धाम के बारे में झूठ फैलाकर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं, बद्रीनाथ धाम की स्थापना इस्लाम के आने से सैकड़ों साल पहले हुई थी।’
मौलाना अब्दुल लतीफ को हरिद्वार में श्री पंचायती उदासीन अखाडा के महामंडलेश्वर कपिल मुनि ने जवाब दिया । कपिल मुनि ने कहा कि, बद्रीनाथ धाम तो तब का है जब इस्लाम भी नहीं था ।
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