जनवरी 19 की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 का पहला इंटरव्यू दिया। हिंदी चैनल जी न्यूज को दिए इस खास इंटरव्यू में पीएम मोदी ने राजनीति, अर्थव्यवस्था, अंतराष्ट्रीय मसले और कूटनीति से लेकर रोजगार तक के मुद्दों पर बात की। उनसे जब एंकर सुधीर चौधरी ने सरकार द्वारा किए गए रोजगार के अवसर पैदा करने के वादे के मामले पर सवाल किया तब पीएम मोदी ने पकौड़ा तलने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अगर जी टीवी के बाहर कोई व्यक्ति पकौड़ा बेच रहा है तो क्या वह रोजगार होगा या नहीं.
दरअसल एंकर ने श्रम मंत्रालय के आंकड़े पेश करते हुए सवाल किया था कि क्या सरकार नौकरियां पैदा करने की दिशा में सही रास्ते पर चल रही है या नहीं। रोजगार के आंकड़ें पूछने पर पीएम मोदी के इस जवाब पर वह सोशल मीडिया में तेजी से ट्रोल हो रहे हैं। कई यूजर्स ने सरकार पर रोजगार के नए अवसर नहीं पैदा करने को लेकर उनपर तंज कसा है।
दरअसल एंकर ने श्रम मंत्रालय के आंकड़े पेश करते हुए सवाल किया था कि क्या सरकार नौकरियां पैदा करने की दिशा में सही रास्ते पर चल रही है या नहीं। रोजगार के आंकड़ें पूछने पर पीएम मोदी के इस जवाब पर वह सोशल मीडिया में तेजी से ट्रोल हो रहे हैं। कई यूजर्स ने सरकार पर रोजगार के नए अवसर नहीं पैदा करने को लेकर उनपर तंज कसा है।
एक ट्वीट में अभिषेक ने लिखा कि एक पीएम के रूप में लोगों ने किन्हें चुना है। परवेज एम एक तस्वीर शेयर कर लिखते हैं, ‘मिल गया पकौड़े का राज।’ शेख चिल्ली लिखते हैं, ‘रोजगार के नए अवसर के लिए पीएम का पकौड़ा वाला उदाहरण सही नहीं था।’
सुधीर चौधरी ने पीएम मोदी द्वारा नवंबर 2013 में आगरा में किए गए उस वादे को लेकर सवाल किया जिसमें उन्होंने कहा था कि वह देश में एक करोड़ नौकरियां पैदा करेंगे, इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, ‘हाल ही में एक स्वायत्त संस्था ने ईपीएफ के आंकड़े निकाले हैं और यह आंकड़े गलत नहीं होते, क्योंकि इसमें आधार नंबर होता है, बैंक अकाउंट होता है और पैसा होता है, यह हवाबाजी नहीं होती।
इस एक साल में 70 लाख ईपीएफ जुड़े हैं। यह एक स्वायत्त संस्था का आंकड़ा है। दूसरा हमने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना बनाई। इसमें जो भी व्यक्ति रोजगार करना चाहता है, उसे बिना बैंक गारंटी के पैसा दिया जाता है।
इस देश को गर्व होना चाहिए कि दस करोड़ लोगों ने मुद्रा योजना का लाभ लिया है और चार लाख करोड़ रुपए इनको दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें से 3 करोड़ लोग वह हैं जिन्होंने पहले कभी भी बैंक से एक रुपए भी नहीं लिए थे।
इसका मतलब यह है कि यह नए व्यवसाई हैं। कोई व्यक्ति पैसा लेता है, एक दुकान भी चलाता है तो वह खुद तो रोजगार पाता ही है एक दूसरे व्यक्ति को भी रोजगार का अवसर देता है, क्या इसको रोजगार मानेंगे कि नहीं मानेंगे।’
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