जब रिहायशी इलाकों में फैक्ट्री नहीं लग सकती,बम फैक्ट्री कैसे चल रही थी?-- विजय गोयल, केन्द्रीय मंत्री
जानकारी के मुताबिक इस बिल्डिंग मेंनीचे पटाखा और ऊपर रबड़ की फैक्ट्री थी. |
आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार
आज, जनवरी 22 को भारतीय जनता पार्टी जिला चाँदनी चौक के अरविन्द गर्ग की अध्यक्षता में गौरी शंकर मन्दिर, चाँदनी चौक पर बवाना अग्नि कांड में 17 लोगों के मरने पर धरना दिया गया। जिसे अरविन्द के अतिरिक्त मोती सोढ़ी, दिनेश जैन, श्रीमती गीता चौहान, सतीश गुप्ता, शकील अंजुम आदि नेताओं ने अरविन्द केजरीवाल सरकार की लापरवाही के कारण बेगुनाह मज़दूरों की मौत पर शोक प्रकट किया। दिल्ली की समस्याओं से जूझने वाले चाँदनी चौक के पूर्व सांसद एवं वर्तमान केन्द्रीय मन्त्री विजय गोयल विशेष अतिथि थे।
विजय गोयल ने अपने अतिसंक्षिप्त भाषण में बताया कि केजरीवाल का काम केवल मोदी की करना और दिल्ली नगर निगम की आलोचना करना है। उन्हें नहीं पता दिल्ली में क्या हो रहा है? अवैध रूप से बम बनाने की फैक्ट्री चल रही है, न केजरीवाल को इसकी खबर और नहीं ही इनके मंत्री सत्येंद्र जैन को होश। टीवी पर आने पर उन्हें मालूम होता है कि दिल्ली में कुछ हुआ है, चलो। जब कि मुख्यमंत्री से पहले मै वहां पहुँच गया था। जब रिहायशी इलाकों में किसी भी तरह की फैक्ट्री नहीं लग सकती, फिर क्या कारण है कि आतिशबाज़ी, बम फैक्ट्री कैसे चल रही थी?
जिस समय यह हादसा हुआ, फैक्ट्री के गेट पर ताला लगा हुआ था. जान बचाने का कोई रास्ता नहीं देख कुछ लोगों ने पहली मंजिल की खिड़कियों से छलांग लगा दी. इसमें एक महिला और और एक आदमी के पैरों की हड्डियां टूट गईं.
विजय ने आगे बताया कि हादसे से बच कर आए रूपप्रकाश ने बताया कि फैक्ट्री में तीन जगहों पर काम किया जाता था। कुछ लोग पहले फ्लोर पर थे, जबकि कुछ बेसेमेंट और कुछ ग्राउंड फ्लोर पर। पुलिस ने भी 13 डेडबॉडी पहले फ्लोर से, 3 ग्राउंड फ्लोर से और एक डेडबॉडी बेसमेंट से बरामद किया है।
रूपप्रकाश के मुताबिक, आग फैक्ट्री के मेन गेट पर रखे समान में लगी थी, जो फैक्ट्री के बाकि हिस्से में फैल गई। मेन गेट पर आग लगने के चलते कोई बाहर नहीं आ पाया और जो जहां था, वहीं जलकर उसकी मौत हो गई, केंद्रीय मंत्री गोयल ने बताया।
अरविन्द गर्ग ने बताया कि बाहरी दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में शनिवार (20 जनवरी) शाम एक पटाखा भंडारण इकाई में भीषण आग लग गई. इस फैक्ट्री में अवैध रूप से पटाखे बनाने का काम चल रहा था. इस हादसे में 10 महिलाओं और 7 पुरुषों की जलकर मौत हो गई. शव इतनी बुरी तरह से जल गए कि उनकी पहचान संभव नहीं है. पुलिस डीएनए के माध्यम से उनकी पहचान करने में जुटी है. आग की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की 12 गाड़ियां मौके पर पहुंची और करीब 4 घंटे की मेहनत के बाद आग पर काबू पाया गया.
शवों की पहचान मुश्किल
घटना के वक्त फैक्ट्री में करीब 50 लोग काम कर रहे थे. इस बिल्डिंग में नीचे पटाखा और ऊपर रबड़ की फैक्ट्री थी. पहली मंजिल पर 13, ग्राउंड फ्लोर पर तीन और बेसमेंट में एक शव मिला है. सभी शव इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल था, अरविन्द ने कहा।
दिनेश जैन ने अरविन्द केजरीवाल से प्रश्न किया कि जब कोर्ट ने दिल्ली में आतिशबाज़ी बैन कर रखी है, फिर किस आधार पर बम बनाने की फैक्ट्री चल रही थी? क्या यह दिल्ली सरकार अधीन नहीं? कौन है इन बेगुनाह मौतों का ज़िम्मेदार? केजरीवाल एक दूसरे को आरोपित करने की बजाए दिल्ली में कामों पर ध्यान दो।
श्रीमती गीता चौहान ने अरविन्द केजरीवाल को न दिल्ली की चिन्ता है, न महिलाओं की। केजरीवाल का काम सिर्फ झूठे वायदे और दिल्ली की मासूम जनता को बिजली, पानी के मुफ्त देने के कोरे आश्वासन देने के सिवा कुछ नहीं आता।
प्राप्त समाचारों के अनुसार, पुलिस ने इस मामले में फैक्ट्री मालिक मनोज जैन को गिरफ्तार कर लिया है. मनोज जैन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.
नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में शनिवार को तीन फैक्ट्री में आग लग गई। इसमें 10 महिला समेत 17 की मौत हो गई, जबकि जान बचाने पहली मंजिल से कूदी एक महिला सहित दो लोग गंभीर रूप से घायल हैं। फैक्ट्री का मालिक मनोज जैन अरेस्ट हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए जबकि घायलों को 1-1 लाख रुपए मुआवजा देने का एलान किया है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर घटना पर दुख जताया है। वहीं, दिल्ली सरकार ने जांच के ऑर्डर दिए हैं।
45 में से 17 शव बरामद, दो घायल, 23 अब भी लापता
- पुलिस ने फैक्ट्री में मरने वालों की संख्या 17 बताई है। जबकि वहां अपनों की तलाश में आने वाले लोगों की माने तो मरने वालों की संख्या ज्यादा है। क्योंकि फैक्ट्री नई खुली थी। ऐसे में यहां काम करने बड़ी संख्या में लोग आ रहे थे।
- हादसे में जान गंवाने वाली सोनी के फैमिली मेंबर्स ने बताया कि इस फैक्ट्री में करीब 45 लोग काम करते थे। सोनी ने एक दिन पहले ही अपने घर पर बताया था कि फैक्ट्री में 35 महिलाएं और करीब 10 पुरुष काम करते हैं। शनिवार को जब फैक्ट्री में आग लगी तो सभी 45 मजदूर फैक्ट्री में काम कर रहे थे। आग के बाद कोई भी मजदूर बाहर नहीं निकल पाया।
- प्रशासन ने सिर्फ 17 लोगों के मरने का दावा किया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है बाकि के वे लोग जो फैक्ट्री में काम कर रहे थे वो जब बाहर नहीं आए तो उनके शव कहां गए? ऐसे में आशंका है कि मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
- प्रशासन ने सिर्फ 17 लोगों के मरने का दावा किया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है बाकि के वे लोग जो फैक्ट्री में काम कर रहे थे वो जब बाहर नहीं आए तो उनके शव कहां गए? ऐसे में आशंका है कि मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
हादसा कहां हुआ?
- नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में हुआ। ये दिल्ली का बाहरी इलाका है और कनॉट प्लेस से करीब 35 किमी दूर है। बता दें कि आग पर करीब साढ़े तीन घंटे पर काबू पाया जा सका। फायर ब्रिगेड की करीब 12 गाड़ियों ने आग बुझाई। फायर ब्रिगेड का एक अफसर भी हादसे में जख्मी हुआ है।
- रात 11 बजे तक शव ढूंढने का काम जारी था। पहली मंजिल से कूदे एक युवक के दोनों पैरों की हडि्डयां टूट गईं, जबकि महिला के कूल्हे की हडि्डयां टूट गईं। शाहबाद डेरी थाने ने मामला दर्ज किया है। ज्वलनशील पदार्थ रखने व लापरवाही से मौत होने सहित विभिन्न धाराओं में जांच शुरू की है। फैक्टरी के पास केमिकल का लाइसेंस था।
आग कब लगी?
- जानकारी के मुताबिक आग पटाखा, प्लास्टिक और ऑयल फैक्ट्रियों में दोपहर 3:30 बजे लगी। आग एक फैक्ट्री से दूसरी फैक्ट्री में फैलती रही। फायर ब्रिगेड सर्विस के अफसर ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी शाम 6 बजे मिली। इसके हमने फौरन 12 गाड़ियां भेजींं। आग को बुझाने में करीब साढ़े तीन घंटे लगे।
- दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर जीसी मिश्रा ने कहा, ''हमें बवाना में आग लगने की 3 सूचनाएं मिली थीं। सबसे पहले सेक्टर-1 की प्लास्टिक फैक्ट्री, सेक्टर-5 में पटाखा गोदाम और सेक्टर-3 के एक तेल गोदाम में आग की खबर आई। आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया है। अब तक 17 बॉडी निकाली जा चुकी हैं।''
- बताया जा रहा है कि डबल स्टोरी बिल्डिंग में नीचे पटाखा और ऊपर रबड़ की फैक्ट्री थी। इससे आग तेजी से फैली और इमारत में मौजूद लोगों को बचने का मौका ही नहीं मिला। पहली मंजिल पर 13, ग्राउंड फ्लोर पर तीन और बेसमेंट में एक शव मिला है। सभी शव इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल था।
- फायर ब्रिगेड अफसर जीसी मिश्रा ने कहा कि आग के कारणों का पता नहीं चल सका, क्योंकि अंदर सब कुछ जल चुका है और घटना की जानकारी देने वाला कोई नहीं बचा। आशंका जताई जा रही है कि इमारत के दरवाजे पर ही स्थित ट्रांसफॉर्मर से निकली चिंगारी से ग्राउंड फ्लोर पर रखे पटाखों ने आग पकड़ ली और पूरी इमारत में फैल गई।
केजरीवाल ने दुख जताया
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट में कहा- "इस हादसे में इतने लोगों की मौत होना दुख की बात है। हम राहत और रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर रख रहे हैं।"
- नॉर्थ एमसीडी मेयर प्रीति अग्रवाल ने भी मौके पर पहुंचकर जायजा लिया।
मोदी ने हादसे पर दुख जताया
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने कहा, ''बवाना की फैक्ट्री में आग की घटना से आहत हूं। इसमें जान गंवाने वाले लोगों के परिवार से प्रति मेरी गहरी संवेदना है। मेरी कामना है कि जख्मी लोग जल्दी ठीक हों।''
दिल्ली सरकार ने शुरू की जांचहादसे की खबर मिलते ही घटना स्थल पर बीजेपी सांसद मनोज तिवारी अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए. कुछ ही देर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पहुंचे. नार्थ दिल्ली की मेयर प्रीति अग्रवाल ने भी घटनास्थल का दौरा किया. दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि जांच कमेटी गठित कर दी गई है. उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. सूत्र बताते हैं कि घटना के समय फैक्ट्री के बाहर मुख्य गेट पर ताला लगा हुआ था. जिसके कारण मृतकों को जान बचाकर भागने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया
मुआवजे का ऐलान
इस घटना के बाद दिल्ली सरकार ने प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का ऐलान किया है. सरकार ने मृतक के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये देने की घोषणा की है. उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी घायलों का हर संभव उपचार करने की घोषणा की.
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