आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अपने तेवर नरम कर लेने से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहत की सांस ली है। प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए केवल दो दिन बचे है। भाजपा के पास हालांकि इतने वोट है कि वह आराम से अपने आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेज सकती है लेकिन पार्टी के नौवें प्रत्याशी की जीत के लिये अपने सहयोगी दल सुभासपा के चार वोट बहुत महत्वपूर्ण है। 403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 324 सीटें हैं। अभी हाल ही में नूरपुर सीट से भाजपा विधायक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी। समाजवादी पार्टी के 47 विधायक, बसपा के 19 विधायक, कांग्रेस के सात और रालोद का एक विधायक है।
राज्यसभा में एक प्रत्याशी को जीतने के लिये 37 प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत होती है। अगर गणित के हिसाब से देखे तो 10 में से आठ सीटे भाजपा आसानी से जीत सकती है। आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेजने के बाद 28 अतिरिक्त वोट भाजपा के पास है जिसमें सुभासपा के चार वोट भी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने आगाह किया था कि अगर भाजपा सुभासपा की समस्याओं को नहीं सुलझाएगी तो वह आगामी राज्यसभा चुनाव का बहिष्कार करेगी। सुभासपा के पास चार विधायक हैं।
राजभर ने कल शाम नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताई और राज्यसभा चुनाव में भाजपा का साथ देने की घोषणा कर दी थी।
अखिलेश को झटका, मायावती को हराने में जुटे अमित शाह के लिए आई अच्छी खबर
उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए शुक्रवार (23 मार्च) को वोटिंग होनी है। उससे पहले बीजेपी और सपा दोनों पार्टियां रात्रिभोज का आयोजन कर रही हैं ताकि विधायकों को लामबंद रखा जा सके। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनावी रणनीति के लिए आज पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई थी लेकिन बैठक में सिर्फ 40 विधायक ही शामिल हुए। सात विधायक गायब थे। अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव भी बैठक से गायब थे। माना जा रहा है कि शिवपाल समर्थक सभी सात विधायक सपा की बैठक से गायब थे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए यह खबर राहतभरी हो सकती है क्योंकि गोरखपुर और फूलपुर संसदीय उप चुनाव हारने के बाद बीजेपी राज्य सभा की नौंवी सीट जीतने के लिए रणनीति बना रही है। शिवपाल की गैर हाजिरी अखिलेश के लिए बेचैनी भरी हो सकती है मगर बीजेपी के लिए राहत भरी है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव के वक्त भी शिवपाल समर्थित सात विधायकों ने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट दिया था।403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में बीजेपी और उसके सहयोगियों की कुल सदस्य संख्या 325 है लेकिन एक विधायक की मौत की वजह से फिलहाल यह संख्या 324 है। आठ सांसदों को चुनने के बाद एनडीए के पास 28 वोट सरप्लस होते हैं। अगर सपा के सात बागी विधायक मिल जाएं तो यह आंकड़ा 35 हो जाता है। निषाद पार्टी के एकमात्र विधायक विजय मिश्रा ने पहले ही एलान कर दिया है कि वो बीजेपी उम्मीदवार को वोट करेंगे। विधान सभा में तीन निर्दलीय विधायक हैं। राजा भैया और विनोद सरोज सपा-बसपा खेमे में चले जाएं और तीसरा एनडीए खेमे में तब भी पलड़ा एनडीए का भारी पड़ सकता है। हालांकि, इससे निपटने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी रणनीति बना रहे हैं।
अखिलेश यादव ऐसे जुगाड़ रहे मायावती के लिए 37 वोट
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज (21 मार्च को) लखनऊ के एक फाइव स्टार होटल में करीब 200 लोगों को रात्रिभोज देंगे। इस भोज के लिए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, उनके दोनों भाई शिवपाल सिंह यादव और रामगोपाल यादव को भी न्योता भेजा गया है। हालांकि, भोज से पहले ही शिवपाल सिंह यादव सैफई के लिए रवाना हो चुके हैं, जबकि मुलायम लिंह यादव के भोज में शामिल होने पर अभी सस्पेंस बना हुआ है क्योंकि उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही है। इससे पहले आज ही अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई थी मगर बैठक में सिर्फ 40 विधायक ही शामिल हुए। शिवपाल और उनके छह समर्थक विधायकों ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया।सपा के कुल 47 विधायक हैं। इस लिहाज से पार्टी अपने उम्मीदवार जया बच्चन को आसानी से राज्यसभा भेज सकती है लेकिन मायावती से दोस्ती निभाने और उसके उम्मीदवार भीम राव अंबेडकर को जीत दिलाने के लिए अखिलेश यादव को मेहनत करनी पड़ रही है। फिलहाल उनके पास 10 सरप्लस विधायक हैं लेकिन सांसद नरेश अग्रवाल के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके सपा विधायक बेटे नितिन अग्रवाल पर सस्पेंस है। यानी सपा के नौ वोट और बसपा के 19 वोट मिलाकर कुल 28 वोट होते हैं। कांग्रेस ने भी बसपा को समर्थन का एलान किया है। उसके सात विधायक हैं। इस तरह 35 विधायकों का जुगाड़ हो गया। जबकि जीत के लिए 37 विधायकों का वोट चाहिए। अजीत सिंह की आरएलडी के एक विधायक ने भी साथ देने का वादा किया है मगर निषाद पार्टी के एक मात्र विधायक विजय मिश्रा ने ऐन वक्त पर पलटी मार दी है और एलान किया है कि बीजेपी को वोट करेंगे। इससे एक वोट की कमी पड़ गई है।
सपा अध्यक्ष ने इसका भी जुगाड़ निकाल लिया है। अखिलेश सरकार में मंत्री रहे और निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को भी रात्रिभोज में बुलाया गया है। माना जा रहा है कि राजा भैया के साथ उनके करीबी और बाबागंज से निर्दलीय विधायक विनोद सरोज भी रात्रिभोज में शामिल होंगे। राजा भैया को मुलायम सिंह का काफी करीबी माना जाता है। अगर इन दोनों निर्दलीय विधायकों ने बसपा उम्मीदवार को वोट कर दिया तो भीम राव अंबेडकर का संसद पहुंचना तय है। हालांकि, राजा भैया और बसपा के बीच रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे। बीजेपी ने भी इसे भंजाने की कोशिश की है मगर राजा भैया किसे 23 मार्च को राजा बनाएंगे, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
Comments