हिंदू धर्म में ‘फूट डालो राज करो’ की कांग्रेसी नीति कर्नाटक में एक नए और ज्यादा खतरनाक रूप में सामने आ रही है। बीते कुछ समय से राज्य में लिंगायत समुदाय का एक धड़ा खुद को हिंदू धर्म से अलग मान्यता देने की मांग कर रहा है। इसके पीछे सीधे तौर पर कांग्रेस का हाथ रहा है। कुछ साल से इसे लेकर अटकलबाजी होती रही है, लेकिन अब यह खुलकर सामने आ गया है। ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अलग लिंगायत धर्म की मांग के पीछे दरअसल सोनिया गांधी का हाथ है। अब तक कांग्रेस हाईकमान यह दिखाता रहा है कि अलग लिंगायत धर्म के मुद्दे को उनका समर्थन नहीं है। जबकि उन्हीं की पार्टी के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया खुलकर हिंदू धर्म के बंटवारे की मांग को हवा देने में जुटे हैं। न्यूज़लूज़ से बातचीत में कर्नाटक सरकार के एक मंत्री ने इस बात की पुष्टि की कि लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देने पर सिद्धारमैया की मांग को सोनिया गांधी का पूरा समर्थन है।
लिंगायतों पर कांग्रेसी सियासत!
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी 20 फीसदी के आसपास है। लिहाजा राजनीतिक ताकत के तौर पर उन्हें बेहद अहम माना जाता है। आम तौर पर ये लोग बीजेपी को समर्थन करते रहे हैं। बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं। मौजूदा कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सत्ता में वापसी के लिए लिंगायत वोट बैंक को बांटने की कोशिश में हैं। इसी के तहत उन्होंने लिंगायत समुदाय में हिंदू धर्म से अलगाववाद की भावना को हवा दी। कर्नाटक में 13 से 14 फीसदी मुसलमान हैं। अवलोकन करें :--
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कर्नाटक कांग्रेस को लगता है कि हिंदू धर्म विरोधी पार्टी होने के कारण उसे मुस्लिम वोट मिलना लगभग तय है। अगर वो लिंगायतों को भी अपने साथ मिला ले तो जीत की उम्मीद बढ़ जाएगी। इसी साल जुलाई में सीएम सिद्धारमैया ने खुले तौर पर लिंगायत धर्म को मान्यता देने की मांग की थी। लिंगायत कर्नाटक में अभी ओबीसी के तहत आते हैं। पंजाब के बाद कर्नाटक इकलौता बड़ा राज्य है जहां पर कांग्रेस की सरकार बाकी बची है।
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कर्नाटक कांग्रेस को लगता है कि हिंदू धर्म विरोधी पार्टी होने के कारण उसे मुस्लिम वोट मिलना लगभग तय है। अगर वो लिंगायतों को भी अपने साथ मिला ले तो जीत की उम्मीद बढ़ जाएगी। इसी साल जुलाई में सीएम सिद्धारमैया ने खुले तौर पर लिंगायत धर्म को मान्यता देने की मांग की थी। लिंगायत कर्नाटक में अभी ओबीसी के तहत आते हैं। पंजाब के बाद कर्नाटक इकलौता बड़ा राज्य है जहां पर कांग्रेस की सरकार बाकी बची है।
‘साजिश के पीछे हैं सोनिया गांधी’
सोनिया गांधी ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले 2012 में लिंगायतों के सिद्धगंगा मठ के प्रमुख शिवकुमार स्वामी की 105वीं सालगिरह पर आयोजित समारोह में भाग लिया था। माना जाता है कि सोनिया ने तभी लिंगायतों में हिंदू धर्म से अलगाव की भावना को हवा दे दी थी। सोनिया गांधी ने खुद तो कभी इस बारे में कुछ नहीं बोला, लेकिन परदे के पीछे वो इसमें सीधे तौर पर रुचि लेती रहीं। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने ये जिम्मेदारी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंप दी। इसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं। इसी साल 19 जुलाई को बीदर में अलग धर्म की मान्यता की मांग को लेकर एक बड़ी रैली हुई थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। कांग्रेस सरकार के कई मंत्री इस मुद्दे पर राज्य भर में फैले लिंगायत समुदाय के लोगों का समर्थन जुटाने में भी लगे हैं। 10 दिसंबर को बैंगलोर में एक और लिंगायत रैली होनी है। माना जाता है कि इसी के बाद कर्नाटक सरकार अलग धर्म बनाने के लिए एक औपचारिक प्रस्ताव तैयार करके केंद्र सरकार को भेज सकती है।
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