आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार और पूर्व राज्यसभा सांसद जावेद अख्तर ने मुगलों को देशद्रोही बताने वालों पर जमकर हमला बोला है। जावेद अख्तर ने कहा कि ये लोग जो इस तरह की बातें करते हैं ये लोग बेवकूफ हैं। जावेद अख्तर ने ये बातें हिंदी न्यूज चैनल आज तक के एक कार्यक्रम में कहीं। जावेद अख्तर ने संजय लीला भंसाली की पद्मावती पर चल रहे विवाद पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि इसकी कहानी सलीम-अनारकली की तरह ही नकली है।
https://www.facebook.com/hindapna/videos/344184129349187/
जावेद की इस बात में तो वजन है कि सलीम-अनारकली पर निर्मित फिल्मों का इतिहास से कोई सरोकार नहीं। स्वतन्त्र पत्रकारिता करते एक बहुचर्चित लेख हिन्दी में शीर्षक "अनारकली कौन थी?" और अंग्रेजी में "Was Anarkali a myth?" जिसे Screen सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ था। वास्तव में अकबर ने और सलीम ने किसी लड़की को अनारकली नाम से अलंकृत किया था, बल्कि इम्तियाज़ अली के लिखे एक नॉवेल पर निर्मित फिल्म है, जिसका इतिहास से कोई सरोकार नहीं। वास्तव में एक बार इम्तियाज़ को लाहौर के कब्रिस्तान में जाना पड़ा, जहाँ उसकी नज़र एक कब्र पर पड़ी, जिस पर लगे पत्थर पर अंकित था, उस महिला अनारकली का ख्वाब हिंदुस्तान की मलिका बनने का था, और उस पर निर्मित फिल्मों को लोग उसे इतिहास समझ बैठे।आपको बता दें कि जावेद अख्तर एक शायर होने के बावजूद सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी खुल कर अपनी बात रखते रहते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ आज तक के कार्यक्रम में। इस कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि जब अकबर रोड का नाम बदलने की बात होती है तो आपको गुस्सा क्यों आ जाता है। इस पर जावेद अख्तर ने कहा कि ऐसा करने वाले लोग अकबर को ठीक तरह से जानते ही नहीं हैं। जब-जब हिंदुस्तान के महान शख्सियतों की बात दुनिया में कहीं भी होती है तो उसमें अकबर का नाम जरूर आता है। अकबर के बारे में गलत सोच रखने वाले अगर अकबर का इतिहास पढ़ लें तो उन्हें नाज होगा कि वो अकबर के देश में पैदा हुए हैं।
पद्मावती फिल्म पर चल रहे विवाद में एक टीवी डिबेट का हवाला देते हुए जावेद अखतर ने कहा, “टीवी पर इतिहास के एक प्रोफेसर को सुन रहा था। वो बता रहे थे कि ‘पद्मावती’ की रचना और अलाउद्दीन खिलजी के समय में काफी फर्फ था। जायसी ने जिस वक्त इसे लिखा और खिलजी के शासनकाल में करीब 200 से 250 साल का फर्क था। इतने साल में जब तक कि जायसी ने पद्मावती नहीं लिखी, कहीं रानी पद्मावती का जिक्र ही नहीं है।”
अवलोकन करिये:--
नई पीढ़ी को इतिहास की सलाह देते हुए जावेद साहब ने कहा, “फिल्मों को इतिहास मत समझिए और इतिहास को भी फिल्म से मत समझिए। हां, आप गौर से फिल्में देखिए और आनंद लिजिए, इतिहास में रुचि है, तो गंभीरता से इतिहास पढ़िए, तमाम इतिहासकार हैं उन्हें आप पढ़ सकते हैं।”
जावेद साहब किन इतिहासकारों की बात कर रहे हो, जिन्होंने ने चंद चाँदी के टुकड़ों की खातिर देश के वास्तविक इतिहास को धूमिल कर दिया। इन लालची इतिहासकारों ने हिन्दू सम्राट पोरस की गौरवगाथा को धूमिल कर दिया, जिसने सिकन्दर को ऐसी मार दी कि पुनः हिन्दुस्तान की तरफ देखने का साहस तक नहीं कर पाया। और हमें पढ़ाया गया "विश्व विजेता सिकन्दर"।
जावेद साहब आपकी तरह मै भी इतिहासकार नहीं, लेकिन पत्रकारिता में कदम विश्वचर्चित पत्रकार एवं "The Motherland" एवं "Organiser" के मुख्य सम्पादक श्री केवल रतन मलकानी जी की छत्रसाया में श्रीगणेश किया था। मेरी आयु से भी अधिक आयु के पत्रकार श्री मलकानी जी के लेखन से भलीभाँति परिचित होंगे।
अब जावेद साहब सोशल मीडिया पर काफी समय से इतिहास के धूमिल पृष्ठों की मात्र एक छलक चल रही है, जिसका आज तक किसी ने खण्डन नहीं किया। फिर आप स्वयं फिल्म जगत से है, जावेद साहब आप तो चर्चित सम्वाद लेखक और गीतकार भी है, अपना यह "उन्हें नाज होगा कि वो अकबर के देश में पैदा हुए हैं।" कहने से पूर्व वास्तविक इतिहास को पढ़ लिया होता। और नहीं तो अभिनेता, निर्माता-निर्देशक दारा सिंह द्वारा 80 के दशक में निर्मित चर्चित फिल्म "भक्ति में शक्ति" देख ली होती। और जिस ज्वाला माता भक्त की परीक्षा अकबर ने ली थी, उस जोत को बुझाने के लिए एक से बढ़ एक घृणित काम किया था और जोत बुझाने के अपने हर घृणित काम में नाकाम होने पर नंगे पैर ज्वाला माता पर स्वर्ण छतर लेकर गया, दिल में खोट होने के कारण वह स्वर्ण छत्र किस धातु-- न स्वर्ण,न लोहा, न पीतल और न ही चाँदी-- का है, पता नहीं। जिसे कभी भी ज्वाला माता के मंदिर जाकर देखा जा सकता है।
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार और पूर्व राज्यसभा सांसद जावेद अख्तर ने मुगलों को देशद्रोही बताने वालों पर जमकर हमला बोला है। जावेद अख्तर ने कहा कि ये लोग जो इस तरह की बातें करते हैं ये लोग बेवकूफ हैं। जावेद अख्तर ने ये बातें हिंदी न्यूज चैनल आज तक के एक कार्यक्रम में कहीं। जावेद अख्तर ने संजय लीला भंसाली की पद्मावती पर चल रहे विवाद पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि इसकी कहानी सलीम-अनारकली की तरह ही नकली है।
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जावेद की इस बात में तो वजन है कि सलीम-अनारकली पर निर्मित फिल्मों का इतिहास से कोई सरोकार नहीं। स्वतन्त्र पत्रकारिता करते एक बहुचर्चित लेख हिन्दी में शीर्षक "अनारकली कौन थी?" और अंग्रेजी में "Was Anarkali a myth?" जिसे Screen सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ था। वास्तव में अकबर ने और सलीम ने किसी लड़की को अनारकली नाम से अलंकृत किया था, बल्कि इम्तियाज़ अली के लिखे एक नॉवेल पर निर्मित फिल्म है, जिसका इतिहास से कोई सरोकार नहीं। वास्तव में एक बार इम्तियाज़ को लाहौर के कब्रिस्तान में जाना पड़ा, जहाँ उसकी नज़र एक कब्र पर पड़ी, जिस पर लगे पत्थर पर अंकित था, उस महिला अनारकली का ख्वाब हिंदुस्तान की मलिका बनने का था, और उस पर निर्मित फिल्मों को लोग उसे इतिहास समझ बैठे।आपको बता दें कि जावेद अख्तर एक शायर होने के बावजूद सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी खुल कर अपनी बात रखते रहते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ आज तक के कार्यक्रम में। इस कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि जब अकबर रोड का नाम बदलने की बात होती है तो आपको गुस्सा क्यों आ जाता है। इस पर जावेद अख्तर ने कहा कि ऐसा करने वाले लोग अकबर को ठीक तरह से जानते ही नहीं हैं। जब-जब हिंदुस्तान के महान शख्सियतों की बात दुनिया में कहीं भी होती है तो उसमें अकबर का नाम जरूर आता है। अकबर के बारे में गलत सोच रखने वाले अगर अकबर का इतिहास पढ़ लें तो उन्हें नाज होगा कि वो अकबर के देश में पैदा हुए हैं।
पद्मावती फिल्म पर चल रहे विवाद में एक टीवी डिबेट का हवाला देते हुए जावेद अखतर ने कहा, “टीवी पर इतिहास के एक प्रोफेसर को सुन रहा था। वो बता रहे थे कि ‘पद्मावती’ की रचना और अलाउद्दीन खिलजी के समय में काफी फर्फ था। जायसी ने जिस वक्त इसे लिखा और खिलजी के शासनकाल में करीब 200 से 250 साल का फर्क था। इतने साल में जब तक कि जायसी ने पद्मावती नहीं लिखी, कहीं रानी पद्मावती का जिक्र ही नहीं है।”
अवलोकन करिये:--
ऐय्याश अकबर को महान बताने वाले इतिहासकारों का बहिष्कार हो
पिताश्री एम.बी.एल. निगम श्री केवल रतन मलकानी अस्सी के दशक में विश्व चर्चित पत्रकार श्री केवल रतन मलकानी, मुख्य सम्पादक और सम्पा...
NIGAMRAJENDRA28.BLOGSPOT.COM
...See Moreपिताश्री एम.बी.एल. निगम श्री केवल रतन मलकानी अस्सी के दशक में विश्व चर्चित पत्रकार श्री केवल रतन मलकानी, मुख्य सम्पादक और सम्पा...
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जावेद साहब किन इतिहासकारों की बात कर रहे हो, जिन्होंने ने चंद चाँदी के टुकड़ों की खातिर देश के वास्तविक इतिहास को धूमिल कर दिया। इन लालची इतिहासकारों ने हिन्दू सम्राट पोरस की गौरवगाथा को धूमिल कर दिया, जिसने सिकन्दर को ऐसी मार दी कि पुनः हिन्दुस्तान की तरफ देखने का साहस तक नहीं कर पाया। और हमें पढ़ाया गया "विश्व विजेता सिकन्दर"।
जावेद साहब आपकी तरह मै भी इतिहासकार नहीं, लेकिन पत्रकारिता में कदम विश्वचर्चित पत्रकार एवं "The Motherland" एवं "Organiser" के मुख्य सम्पादक श्री केवल रतन मलकानी जी की छत्रसाया में श्रीगणेश किया था। मेरी आयु से भी अधिक आयु के पत्रकार श्री मलकानी जी के लेखन से भलीभाँति परिचित होंगे।
अब जावेद साहब सोशल मीडिया पर काफी समय से इतिहास के धूमिल पृष्ठों की मात्र एक छलक चल रही है, जिसका आज तक किसी ने खण्डन नहीं किया। फिर आप स्वयं फिल्म जगत से है, जावेद साहब आप तो चर्चित सम्वाद लेखक और गीतकार भी है, अपना यह "उन्हें नाज होगा कि वो अकबर के देश में पैदा हुए हैं।" कहने से पूर्व वास्तविक इतिहास को पढ़ लिया होता। और नहीं तो अभिनेता, निर्माता-निर्देशक दारा सिंह द्वारा 80 के दशक में निर्मित चर्चित फिल्म "भक्ति में शक्ति" देख ली होती। और जिस ज्वाला माता भक्त की परीक्षा अकबर ने ली थी, उस जोत को बुझाने के लिए एक से बढ़ एक घृणित काम किया था और जोत बुझाने के अपने हर घृणित काम में नाकाम होने पर नंगे पैर ज्वाला माता पर स्वर्ण छतर लेकर गया, दिल में खोट होने के कारण वह स्वर्ण छत्र किस धातु-- न स्वर्ण,न लोहा, न पीतल और न ही चाँदी-- का है, पता नहीं। जिसे कभी भी ज्वाला माता के मंदिर जाकर देखा जा सकता है।
Jagdish Bhati is with Clss Clss and लवकुश आजाद.
🚩क्यूँ ना घमँड करूँ अपने वीर पूर्वजों पर ??🚩
🚩1.बप्पा रावल,- अरबो को हराया ओर हिन्दुऔ को बचाए रखा..
🚩2 . भीम देव दवितय -, मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे रखा..
🚩3.पृथ्वीराज चौहान - गौरी को 17 बार हराया और हिन्दुओ की साख बचाई..
🚩4.हमीरदेव - खिलजी को 1296 में काटा और हिन्दुओं की ताकत का लोहा मनवाया ..
🚩5.मानसिहं तोमर- 1516 तक इबराहीम लोदी को कई बार हराया..
🚩6. वीर शिवाजी- ओरंगजेब को हराया ओर मुल्लों को बुरी तरह काटा..
🚩7. राणा सांगा - बाबर को भीख दी और धोका मिला ओर युद्ध मे 80 घाव के बाद भी लड़े लोधी को हराया..
🚩8. राणा कुम्भा- अपनी जिदगीँ मे 17 युद्ध लडे,एक भी नही हारे..
🚩9. रानी दुर्गावती-एक औरत नें अकबर को 3 बार हराया..
🚩10.कान्हड देव -1300 मे अलाउद्दीन खिलजी को हराया और सोमनाथ का शिवलिगं को वापिस लिया..
🚩11. विरम देव- जिसकी वीरता पे खिलजी की बेटी फिरोजा फिदा हो गई थी..
🚩12 . चन्द्रगुप्त मौर्य- क्षत्रिय कुल का सबसे पहला राजा जिसने सिकंदर को हराया..
🚩13 . महाराणा प्रताप- इनके बारे में तो मुसलमानो से पुछ लेना -जय महाराणा..
🚩2 . भीम देव दवितय -, मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे रखा..
🚩3.पृथ्वीराज चौहान - गौरी को 17 बार हराया और हिन्दुओ की साख बचाई..
🚩4.हमीरदेव - खिलजी को 1296 में काटा और हिन्दुओं की ताकत का लोहा मनवाया ..
🚩5.मानसिहं तोमर- 1516 तक इबराहीम लोदी को कई बार हराया..
🚩6. वीर शिवाजी- ओरंगजेब को हराया ओर मुल्लों को बुरी तरह काटा..
🚩7. राणा सांगा - बाबर को भीख दी और धोका मिला ओर युद्ध मे 80 घाव के बाद भी लड़े लोधी को हराया..
🚩8. राणा कुम्भा- अपनी जिदगीँ मे 17 युद्ध लडे,एक भी नही हारे..
🚩9. रानी दुर्गावती-एक औरत नें अकबर को 3 बार हराया..
🚩10.कान्हड देव -1300 मे अलाउद्दीन खिलजी को हराया और सोमनाथ का शिवलिगं को वापिस लिया..
🚩11. विरम देव- जिसकी वीरता पे खिलजी की बेटी फिरोजा फिदा हो गई थी..
🚩12 . चन्द्रगुप्त मौर्य- क्षत्रिय कुल का सबसे पहला राजा जिसने सिकंदर को हराया..
🚩13 . महाराणा प्रताप- इनके बारे में तो मुसलमानो से पुछ लेना -जय महाराणा..
Kp Singh
अकबर की महानता का गुणगान तो कई इतिहासकारों ने किया है लेकिन.....
अकबर की औछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है ........!
अकबर अपने गंदे इरादों से प्रतिवर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था......!
जिसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था ........!
अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती .....
उसे दासियाँ छल कपट से अकबर के सम्मुख ले जाती थी .........!
एक दिन नौरोज के मेले में #महाराणा #प्रताप #सिंह की भतीजी, छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री, मेले की सजावट देखने के लिए आई .......
जिनका नाम बाईसा किरणदेवी था ........!
जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ।
बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर काबू नही रख पाया ......
और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से जनाना महल में बुला लिया .......!
जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की ........
किरणदेवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटकर छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी ........
और कहा नींच..... नराधम तुझे पता नहीं मैं उन #महाराणा प्रताप की भतीजी हुं ........!
जिनके नाम से तुझे नींद नहीं आती है ......!
बोल तेरी आखिरी इच्छा क्या है .............?
अकबर का खुन सुख गया .........!
कभी सोचा नहीं होगा कि सम्राट अकबर आज एक राजपूत बाईसा के चरणों में होगा .........!
अकबर बोला मुझे पहचानने में भूल हो गई ......
मुझे माफ कर दो देवी .......!
तो किरण देवी ने कहा कि .........
आज के बाद दिल्ली में नौरोज का मेला नहीं लगेगा ..........!
और किसी भी नारी को परेशान नहीं करेगा......!
*अकबर ने हाथ जोड़कर कहा आज के बाद कभी मेला नहीं लगेगा ..........!
उस दिन के बाद कभी मेला नहीं लगा.........!
इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित सगत रासो मे 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है।
बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेटिंग मे भी इस घटना को एक दोहे के माध्यम से बताया गया है।
किरण सिंहणी सी चढी... उर पर खींच कटार..!
भीख मांगता प्राण की....अकबर हाथ पसार...!!
भीख मांगता प्राण की....अकबर हाथ पसार...!!
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